ग्रहों, नक्षत्रों, वारों, तिथियों आदि के आधार पर मनुष्य का भविष्य फल बनाया जाता है। इनमें मासों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। मासों की संख्या 12 है। मासों का प्रारंभ चैत्र मास से होता है। मासों का फल निम्न प्रकार है- चैत्र मास में जन्म लेने वाले मनुष्य दर्शनीय, अहंकाररहित, श्रेष्ठ कर्म करने वाले, लाल नेत्रों वाले, क्रोधवान और चपला स्त्री वाले, स्त्रियों में चंचल होते हैं।
वैशाख मास में उत्पन्न होने वाले मनुष्य भोगी (सर्वसुखयुक्त), धनवान, अच्छे चित्त (विचार) वाले, क्रोधवान, सुंदर नेत्रों वाले, रूपवान, स्त्रियों में प्यारे होते हैं।
ज्येष्ठ मास में जन्म लेने वाले मनुष्य विदेश में रहने वाले, शुभ चित्त वाले, बड़ी आयु वाले होते हैं। आषाढ़ मास में पैदा होने वाले मनुष्य पुत्र-पौत्रादि से युक्त धर्मवान, धन नाश हो जाने के कारण पीडित, सुंदर वर्ण वाले और थोड़ा सुख भोगने वाले होते हैं।
श्रावण मास में पैदा होने वाले सुख-दुख तथा हानि व लाभ में एक होते हैं। भाद्रपद मास में जन्म लेने वाले मनुष्य सदा खुश रहने वाले, बहुत बात करने वाले, पुत्रवान, मीठी बोली बोलने वाले, सुंदर और शीलवान होते हैं।
आश्विन मास में जन्म लेने वाले मनुष्य सुंदर रूप वाले, अत्यंत पवित्रतायुक्त, गुणवान, धनी और कामी होते हैं। कार्तिक मास में पैदा होने वाले मनुष्य धनवान, कम बुद्धि वाले, दुष्ट प्रवृत्ति वाले, क्रय-विक्रय कर्म करने वाले, पापी और दुष्ट चित्त वाले होते हैं।
मार्गशीर्ष मास में जन्म लेने वाले मनुष्य मीठे वचन बोलने वाले, धनवान, धर्मवान, बहुत मित्रों वाले, पराक्रमी और दूसरों का उपकार करने वाले होते हैं।
पौष माघ में जन्म लेने वाले मनुष्य शूर, उग्र (कठोर) प्रताप वाले, पितर-देवताओं को नहीं मानने वाले और ऐश्वर्य उत्पन्न करने वाले होते हैं।
माघ मास में पैदा होने वाले मनुष्य बुद्धिमान, धनवान, शूरवीर, निष्ठुर वचन बोलने वाले, कामी और युद्ध में धीर होते हैं।
फाल्गुन मास में पैदा होने वाले मनुष्य शुक्ल वर्ण वाले, दूसरों का उपकार करने वाले, धनवान, विद्यावान तथा सुखी और सदा विदेश में भ्रमण करने वाले होते हैं।
मल मास में पैदा होने वाले मनुष्य संसार के विषयों से विरत श्रेष्ठ कार्य करने वाले, तीर्थयात्रा करने वाले, निरोग, सबके प्यारे और अपना हित करने वाले होते हैं।