* खरमास में तिथिनुसार करें इन चीजों का दान, नि:स्वार्थ भाव से दिया दान होता है विशेष फलदायी
16 दिसंबर 2018, रविवार से खरमास लग गया है। खरमास में खास तौर पर भगवान सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करने का महत्व है। इसके साथ ही धार्मिक तीर्थस्थलों पर स्नान एवं दान आदि करने का भी विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है। इस मास में आने वाली सभी तिथियों पर अलग-अलग चीजों का दान करने से जीवन की सभी परेशानियों तथा समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
खरमास के दौरान एकादशी के दिन जहां उपवास रखकर श्रीहरि विष्णु को तुलसी के पत्तों के साथ खीर का भोग लगाने का खासा महत्व बताया गया है। इसके साथ ही इस मास में दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानें खरमास में हर दिन की तिथि के अनुसार किन चीजों का दान करना चाहिए। अवश्य पढ़ें :-
खरमास की तिथियां एवं दान करने की वस्तुएं (चीजें) :-
प्रतिपदा (एकम, पड़वा, प्रथम तिथि) :- एकम के दिन घी से भरा चांदी का पात्र दान करें, इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी।
द्वितीया तिथि :- द्वितीया के दिन कांसे के पात्र में सोना रखकर दान करें, आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
तृतीया तिथि के दिन चने का दान करने से जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
चतुर्थी तिथि के दिन खारक का दान करने से लाभ प्राप्त होता है।
पंचमी तिथि के दिन को गुड़ का दान करने से चारों तरफ से मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
षष्ठी तिथि के दिन औषधि का दान देने से रोग, विकार दूर होते हैं।
सप्तमी तिथि के दिन लाल चंदन के दान से बल मिलता है और बुद्धि बढ़ती है।
अष्टमी तिथि के दिन रक्त चंदन का दान करने से पराक्रम बढ़ता है।
नवमी तिथि के दिन केसर का दान करें, आपका भाग्योदय होगा।
दशमी तिथि के दिन कस्तूरी का दान करें, इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
एकादशी तिथि के दिन गोरोचन के दान से बुद्धि बढ़ती है।
द्वादशी तिथि के दिन शंख का दान करने से धन में वृद्धि होती है तथा धन लाभ मिलता है।
त्रयोदशी तिथि के दिन किसी मंदिर में घंटी का दान करने से पारिवारिक सुख मिलता है।
चतुर्दशी तिथि के दिन सफेद मोती दान करने से मनोविकार दूर होते हैं।
पूर्णिमा तिथि के दिन रत्न का दान करना चाहिए इससे जातक को अपार धन की प्राप्ति होती है।
अमावस्या तिथि के दिन आटा दान अवश्य करना चाहिए, इससे सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।
जो मनुष्य के खरमास के दिनों में तथा इसके अलावा भी उपरोक्त तिथियों पर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट नष्ट होते हैं तथा वह सुखमयी जीवन व्यतीत करता है।