(8) 'ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नम:।'
(9) 'ॐ श्रीं च विद्महे अष्ट ह्रीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी-विष्णु प्रचोद्यात।'
उपरोक्त मंत्रों का जप यथाशक्ति पूजन करते हुए करें।
मुख्य मंत्र बोलते हुए इस प्रकार पूजन आरंभ करें, जैसे 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: आवाह्यामि नम:।'
आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, मधुपर्क स्नान, दुग्ध, दही, मधु, घृत, शर्करा स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्ध जल स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, सुगंध, चंदन आदि, कुंकुं, हरिद्रा, सिन्दूर, अक्षत, पुष्प, पुष्प माला, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बुल, दक्षिणा द्रव्य, आरती, मंत्र पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा, नमस्कार तथा क्षमा-प्रार्थना मुख्य हैं। 64 उपचार भी होते हैं, वे यथाशक्ति करें।
पूजन में कमल गट्टे, नागकेसर, कमल पुष्प, खीर इत्यादि का प्रयोग करें। यदि देवी की प्रतिमा या धातु का यंत्र हो तो 'श्री सूक्त' से अभिषेक करें। दूसरे दिन सुबह देवी का विसर्जन कर जो वस्तुएं खराब न हों, उन्हें लाल वस्त्र में पोटली में बांधकर धन रखने के स्थान पर रख दें तथा यंत्रादि पूजन में रखें। नित्य 1 माला मंत्र की करें। ऐश्वर्य प्राप्ति होती रहेगी।