* चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के व्रत-पूजन का फल जानिए...
नवसंवत्सर पूजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उस दिन उदय में जो वार हो, वही उस वर्ष का राजा होता है। चैत्र ही एक ऐसा माह है जिसमें वृक्ष तथा लताएं पल्लवित व पुष्पित होती हैं। इसी मास में उन्हें वास्तविक मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है। वैशाख मास, जिसे माधव कहा गया है, में मधुरस का परिणाम मात्र मिलता है। इसी कारण प्रथम श्रेय चैत्र को ही मिला और वर्षारंभ के लिए यही उचित समझा गया।
जितने भी धर्म कार्य होते हैं, उनमें सूर्य के अलावा चंद्रमा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन का जो मुख्य आधार अर्थात वनस्पतियां हैं, उन्हें सोम रस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसीलिए इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है।
* यह व्रत करने से धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, व्यावहारिक आदि सभी काम बन जाते हैं।