13 जुलाई को आ रही है गुरु पुर्णिमा। यदि आपकी कुंडली में गुरु दोष, चांडाल योग या किसी भी प्रकार से बृहस्पति ग्रह कमजोर होकर कई तरह की समस्याएं खडी कर रहा है तो आपको इस दिन करना चाहिए 7 खास उपाय तो होगा फायदा। निम्नलिखित उपाय करने से भाग्य जागृत होगा, अटके कार्य पूर्ण होंगे, नौकरी और व्यवसाय में उन्नति होगी। अल्पायु योग समाप्त होगा।
गुरु पूर्णिमा के दिन करें उपाय- Remedy on the day of Guru Purnima ke upay :
1. गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल में जल चढ़ाएं और वहां पर घी का एक दीपक प्रज्वलित करके विष्णुजी का ध्यान करें।
2. इस दिन पिता, दादा और गुरु का आदर कर उनके पैर छुएं और उन्हें कुछ उपहार दें।
3. इस दिन केसर का तिलक लगाएं, मंदिर जाएं और पीली वस्तुओं का दान दें।
4. इस दिन घर में चंदन की खुशबू फैलाएं, कर्पूर जलाएं और धूप-दीप दें। पीली वस्तुओं का सेवन करें।
5. तिजोरी या ईशान कोण में हल्दी की गांठ को किसी सफेद कपड़े में बांधकर रखें।
6. इस दिन गीता का पाठ करें।
7. इस दिन श्रीकृष्ण और वेदव्यासजी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उनकी पूजा करें।
Vakri Guru 2022 July
गुरु दोष का फल : धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। यदि आपके शरीर के भीतर गुरुत्व बल कमजोर होने लगा है तो सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ने लगेंगे। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। ऐसे व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। ऐसे व्यक्ति के अनावश्यक दुश्मन पैदा हो जाते हैं। उसके साथ कभी भी धोखा हो सकता है। सांप के सपने लगातार आ रहे हैं तो यह भी गुरु के अशुभ प्रभाव की निशानी है। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हो या शत्रु ग्रह उसके साथ हो तो भी बृहस्पति मंदा फल देने लगता है। इसके अलावा गुरु के खराब होने पर सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। बिना कारण शिक्षा रुक जाती है। आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी भी गुरु के खराब होने की निशानी है। सांस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द आदि। गुरु दोष होने के कारण आयु में भी कमी हो जाती है और जातक का भाग्य भी सो जाता है। विवाह में देरी भी गुरु दोष के कारण ही होती है।
सावधानी :
*गुरु सप्तम भाव में हो तो कपड़ों का दान न करें।
*गुरु दशम या चौथे भाव में है तो घर या बाहर मंदिर न बनवाएं।
*गुरु नवम भाव में है तो मंदिर आदि में दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु पांचवें भाव में है तो धन का दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु बलवान होने पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए।
*पिता, दादा, गुरु, देवता का सम्मान नहीं करता है तो बर्बादी।