karka sankranti : 17 जुलाई 2023 को सूर्य करेंगे कर्क राशि में प्रवेश, कर्क संक्रांति की बड़ी बातें
17 जुलाई को हरियाली अमावस्या-श्रावण सोमवार पर सूर्य करेंगे कर्क राशि में प्रवेश, कर्क संक्रांति की बड़ी बातें
Surya gochar karka sankranti : 17 जुलाई 2023 को हरियाली अमावस्या, श्रावण सोमवार के दिन सूर्य का कर्क राशि में गोचर होगा, जिसे कर्क संक्रांति कहते हैं। इस दिन से सूर्य पूर्णत: दक्षिणायन गमन करने लगता है। जानते हैं कि दक्षिणायन सूर्य क्या होता है और क्या करना चाहिए इस दौरान।ALSO READ: कर्क संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व?
इस दिन क्या करें, 14 बातें याद रखें
1. इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें।
2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं।
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। मान्यतानुसार सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्धि होती है।
6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
7. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर।
8. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे।
9. अर्घ्य देते समय यह मंत्र 11 बार पढ़ें- 'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।'
10. फिर यह मंत्र 3 बार पढ़ें- 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा:।।'
11. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें।
12. अपने स्थान पर ही 3 बार घूम कर परिक्रमा करें।
13. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
14. इसके अलावा सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन, लाल पुष्प डालना चाहिए तथा चावल अर्पित करके गुड़ चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।
8 काम की बातें
1. क्या होता है दक्षिणायन : सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं।
2. दिन रात में फर्क : सूर्य की इस उत्तरायण और दक्षिणायन गति के कारण उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं।
3. कौनसी ऋतुएं होती हैं : उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म। उत्तरायण के दौरान दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं।
4. किस राशि में होता है सूर्य दक्षिणायन : सूर्य संक्राति हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं।
5. क्या होता है दक्षिणायन होने से : दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहते हैं कि उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना, तप एवं ध्यान का समय रहता है।
6. देवताओं की रात दक्षिणायन : मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि मानी गई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। आषाढ़ माह में देव सो जाते है। कर्क संक्रांति से देवताओं की रात प्रारंभ होती है। अर्थात देवताओं के एक दिन और रात को मिलाकर मनुष्य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक माह पितरों का एक दिन होता है।
7. उत्तरायण में क्या कर सकते हैं : उत्तरायण में तीर्थयात्रा, धामों के दर्शन और उत्सवों का समय होता है। उत्तरायण के 6 महीनों के दौरान नए कार्य जैसे- गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है।
8. दक्षिणायन में क्या करते हैं : दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। इस दौरान व्रत रखना, किसी भी प्रकार की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होती हैं। इस दौरान सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।