एक स्त्री की पूर्णता तभी होती है जब वह मां बनती है, वहीं पुरुष भी पिता बनकर ही पितृ-ऋण से मुक्त होता है। लेकिन कभी-कभी जन्मपत्रिका में ऐसे ग्रहयोगों का सृजन हो जाता है जिनके फ़लस्वरूप पति-पत्नी संतान सुख से वंचित हो जाते हैं। आइए जानते हैं वे कौन सी ग्रहस्थितियां होती हैं जिनके कारण दंपत्तियों को संतान-सुख प्राप्त नहीं होता।
जन्मपत्रिका के पंचम् भाव, पंचमेश व शुक्र से संतान-सुख का विचार किया जाता है। यदि किसी दंपत्ति की जन्मपत्रिका में पंचम् भाव, पंचम् भाव के अधिपति (पंचमेश) एवं शुक्र पर पाप प्रभाव हो तो दंपत्ति को सन्तान-सुख प्राप्त नहीं होता है। यदि पति-पत्नी की जन्मपत्रिका में पंचम् भाव क्रूर ग्रहों द्वारा दृष्ट हो, पंचमेश अशुभ स्थानों में हो व शुक्र निर्बल या अस्त हो तो यह योग संतान-सुख बाधित करता है।
स्त्री की जन्मपत्रिका में यदि पंचम् भाव पर राहु का प्रभाव हो तो गर्भपात की संभावना होती है। पंचम भाव पर यदि शनि, चन्द्र व शुक्र जैसे स्त्री ग्रहों का प्रभाव अधिक हो तो कन्या संतति होती है वहीं गुरु, सूर्य व मंगल जैसे पुरुष प्रधान ग्रहों का प्रभाव होने से पुत्र के योग बनते हैं।