27 योग :- सूर्य-चन्द्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। योग 27 प्रकार के होते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.इन्द्र और 27.वैधृति। इसके अलावा भी कुंडली में कई तरह के योग होते हैं उन्हीं में से दो है कुटुंब और वंश नाशक योग।
1. कुटुंब नाशक योग :
चतुर्थे राहु सौरार्का: पष्ठे चंद्रो बुध कुंज:।
भार्गवश्चास्त्र यो जात: स गृहस्य क्षयंकर:।। मानसागरी अ. 4/27, पृ. 264.
अर्थात : चतुर्थ घर में राहु, सूर्य और शनि हों और चंद्र, बुध, मंगल शुक्र तथा छठे घर में स्थित हों तो जन्म लेना वाला अपने घर का नाश करता है।
2. वंश नाशक योग :
नवमे नशमे चंद्र सप्तमे च यदा सित:।
पापे पातालसंस्थे च वंशच्छेदकरो नर:।। मानसागरी अध्याय 4/50 पृष्ठ 268
अर्थात लग्न से नवम् या दशम भाव में चंद्र, सप्तम भाव में शुक्र और चतुर्थ भाव में कोई भी पाप ग्रह हो तो जातक वंश नाशक होता है।