स्कंद षष्ठी पर करें कार्तिकेय का पूजन, जपें ये विशेष मंत्र...
* मंगल के अशुभ प्रभाव मिल रहे हैं तो करें चम्पा षष्ठी पर कार्तिकेय का पूजन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं तथा दक्षिण दिशा में उनका निवास स्थान है। इसीलिए जिन जातकों की कुंडली में कर्क राशि अर्थात् नीच का मंगल होता है, उन्हें मंगल को मजबूत करने तथा मंगल के शुभ फल पाने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए। क्योंकि स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को प्रिय होने के आज जातकों को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। कार्तिकेय को चम्पा के फूल पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कंद षष्ठी के अलावा चंपा षष्ठी भी कहते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिकेय अपने माता-पिता और छोटे भाई श्रीगणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर मल्लिकार्जुन (शिव जी के ज्योतिर्लिंग) आ गए थे और कार्तिकेय ने स्कंद षष्ठी को ही दैत्य तारकासुर का वध किया था तथा इसी तिथि को कार्तिकेय देवताओं की सेना के सेनापति बने थे।
भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है। ज्ञात हो कि स्कंदपुराण कार्तिकेय को ही समर्पित है। स्कंदपुराण में ऋषि विश्वामित्र द्वारा रचित कार्तिकेय 108 नामों का भी उल्लेख हैं। इस दिन निम्न मंत्र से कार्तिकेय का पूजन करने का विधान है। खासकर दक्षिण भारत में इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंदिर के दर्शन करना बहुत शुभ माना गया है। चम्पा षष्ठी का त्योहार दक्षिण भारत, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में प्रमुखता से मनाया जाता है।
यह दिन भगवान शिव के अवतार जिसे खंडोबा के नाम से जाना जाता है, उन्हें समर्पित है। खंडोबा को ही मल्हारी मार्तण्ड भी कहा गया। होलकर राजवंश के कुल देवता मल्हारी मार्तण्ड की चंपा षष्ठी की रात्रि बैंगन छठ का आयोजन होता है। चौंसठ भैरवों में मार्तण्ड भैरव भी एक हैं। वैसे सूर्य को भी मार्तण्ड कहा गया है। जैसे बिहार में छठ पूजा, सूर्य पूजा का महत्व है, उसी तरह महाराष्ट्र में बैंगन छठ का महत्व है। महाराष्ट्र में जैजूरी खंडोबा का मुख्य स्थान है, जो होळ गांव के पास है। इंदौर के शासक इसी होळ गांव के होने से होलकर कहलाए और खंडोबा उनके कुल देवता है।
कहा जाता है कि इस दिन तेल का सेवन नहीं करना चाहिए तथा बाजरे की रोटी एवं बैंगन के भुर्ते को प्रसाद वितरित करने का प्रचलन है। महाराष्ट्र और सुदूर मालवा में बसे मराठी भाषियों में मल्हारी मार्तण्ड की नवरात्रि का आयोजन मार्गशीर्ष प्रतिपदा से मार्गशीर्ष शुद्ध षष्ठी तक 5 दिन के उपवास के उपरांत मल्हारी मार्तण्ड की 'षडरात्रि' 'बोल सदानंदाचा येळकोट येळकोट' के साथ संपन्न होती है। इसीलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय और खंडोबा का पूजन विशेष रूप से करना चाहिए।
पूजन विधि :
* स्कंद षष्ठी के दिन व्रतधारी व्यक्तियों को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए।
* पूजन में घी, दही, जल और पुष्प से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
* रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए।
भगवान कार्तिकेय की पूजा का मंत्र -
'देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥'
इसके अलावा स्कंद षष्ठी एवं चम्पा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के इन मंत्रों का जाप भी किया जाना चाहिए।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र- 'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'। यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों के नाश के लिए प्रभावशाली है।
शत्रु नाश के लिए पढ़ें ये मंत्र-
ॐ शारवाना-भावाया नम:
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।
इस तरह से भगवान कार्तिकेय का पूजन-अर्चन करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।