जब दो कुंडली के मिलान में ग्रहों का माकूल साथ हो तो प्रेम भी होगा और प्रेम विवाह भी। ज्योतिष की मानें तो चंद्र और शुक्र का साथ किसी भी व्यक्ति को प्रेमी बना सकता है और यही ग्रह अगर विवाह के घर से संबंध रखते हों तो इस प्रेम की परिणति विवाह के रूप में तय है।
ऐसा नहीं कि एस्ट्रोलॉजी को मानने से व्यक्ति के नेचर की इपॉर्टेंस कम हो जाती है लेकिन इतना तय है कि ग्रहों का कॉंबिनेशन आपके जीवन में विरह और मिलन का योग रचता है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रहलाद पंड्या कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के प्रेम करने के पीछे ज्योतिषीय कारण भी होते हैं। कुंडली में शुक्र और चंद्र पॉवरफूल हैं तो किसी भी जातक का प्रेम में पड़ना स्वाभाविक है।
कुंडली में पांचवां घर प्रेम का होता है और सातवां घर दाम्पत्य का माना जाता है। लग्न, पंचम, सप्तम या एकादश भाव में शुक्र का संबंध होने से प्रेम होता है। जब पांचवें और सातवें घर में संबंध बनता है तो प्रेम विवाह में तब्दील हो जाता है। पं. पंड्या के मुताबिक शुक्र या चंद्र के अलावा टॉरस, लिब्रा और कैंसर राशि के जातक भी प्रेम करते हैं।
पं. विष्णु राजोरिया के अनुसार वीनस और मून प्रेम विवाह करवाते हैं तो सूर्य की मौजूदगी रिलेशनशिप में अलगाव का कारण भी बनती है। सूर्य और शुक्र या शनि का आपसी संबंध जोड़े को अलग करने में मुख्य भूमिका निभाता है। सप्तम भाव का संबंध यदि सूर्य से हो जाए तो भी युवा प्रेमी युगल का नाता लंबे समय तक नहीं चलता। इनकी युति तलाक तक ले जाती है। अब आंखें चार हों तो कुंडली देख लें, संभव है शुक्र और चंद्र का साथ आपको प्रेमी बना रहा हो।