12 मई 2019 को बगलामुखी जयंती है। मां बगलामुखी की साधना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए बहुत ही कारगर व अचूक मानी गई है। बगलामुखी साधना दस महाविद्याओं में से एक है। वर्तमान भौतिकतावादी प्रतियोगिता की दौड़ में व्यक्ति न चाहते हुए भी अक्सर शत्रुता का शिकार हो जाता है। कभी-कभी यह शत्रुता अतीव रूप से बढ़कर व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को ही नष्ट करने पर आमादा हो जाती है।
जब व्यक्ति के निर्दोष के होते हुए भी ईर्ष्या व द्वेष के चलते शत्रुता का कष्ट जीवन में उच्चतम स्तर पर हो तब बगलामुखी साधना संपन्न कर शत्रुता के कष्ट से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। बगलामुखी साधना सामान्य साधनाओं से इतर एक वृह्द अनुष्ठान है, जो पात्र-अपात्र का विचार कर उचित व पात्र व्यक्ति के लिए ही करना चाहिए।
बगलामुखी साधना शत्रु पराभव करने में पूर्णरूपेण समर्थ है। बगलामुखी साधना संपन्न व्यक्ति के समक्ष कितना भी बलशाली शत्रु क्यों न हो, वह घुटने टेकने को विवश हो ही जाता है। बगलामुखी साधना से साधक को वाक् सिद्धि प्राप्त हो जाती है। आइए जानते हैं बगलामुखी साधना से जुड़ीं कुछ विशेष बातें-
मां बगलामुखी का विग्रह-
बगलामुखी साधना को संपन्न करने के लिए सर्वप्रथम मां बगलामुखी के विग्रह एवं उनके यंत्र की आवश्यकता होती है। मां बगलामुखी का विग्रह बहुत ही अद्भुत है जिसमें मां बगलामुखी अपने वाम हस्त से शत्रु की जिव्हा खींच रही हैं और दाहिने हाथ में धारित गदा से शत्रु की जिव्हा पर प्रहार कर रही हैं। मां बगलामुखी की साधना शत्रु का मुख स्तंभित करने का विशेष सामर्थ्य रखती है।
कैसे प्रारंभ करें बगलामुखी साधना-
मां बगलामुखी की साधना में कुछ बातों का विशेष महत्व है चाहे वह मुहूर्त हो या साधना में प्रयुक्त होने वाली सामग्री। मां बगलामुखी की साधना का प्रारंभ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि से किया जाना चाहिए। मां बगलामुखी की साधना में प्रयुक्त मंत्र का 1.25 लाख जप व दशांश हवन करना आवश्यक होता है। साधना में केवल पीले रंग की ही वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
मां बगलामुखी के मंत्र का जाप हल्दी की माला से ही करना अनिवार्य है। बगलामुखी साधना में प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में जप करना अनिवार्य है। जप से पूर्व आचमन, प्राणायाम, न्यास, संकल्प एवं विनियोग करना आवश्यक होता है।
मां बगलामुखी के जप के लिए एक विशेष साधना स्थल का निर्माण करना आवश्यक होता है जिसमें मां बगलामुखी का विग्रह एवं यंत्र की विधिवत प्रतिष्ठा व स्थापना की जा सके। पाठकों से निवेदन है कि वे किसी विद्वान देवाचार्य की उपस्थिति व मार्गदर्शन में ही बगलामुखी साधना संपन्न करें तो श्रेयस्कर रहेगा।