प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में कार्तिक मास में व्रत और तप का विशेष महत्व बताया गया है। इस मास में व्रत और तप करने से जातक के सभी पापों का नाश होता है।
पुराणों के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही समस्त पापों से मुक्ति दिलाने में भी कार्तिक मास बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में निम्न श्र्लोक पढ़ने का विशेष महत्व है।
अगर आप पूरे कार्तिक मास में ये श्लोक नहीं पढ़ पाए तब भी घबराने की कोई बात नहीं, बैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन भी इस श्लोक को पढ़ने से आपको अपने समस्त पापों से छुटकारा मिल जाएगा। आइए जानें...
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
(स्कंद पुराण, वै. खं. कां. मा. 1/14)
स्कंद पुराण में लिखे इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के समान ही कार्तिक मास भी श्रेष्ठ और दुर्लभ है।
एक अन्य श्लोक के अनुसार -
न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।
अर्थात- कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है।