आज घर घर पधारेंगी महालक्ष्मी, जानिए पूजा कैसे होती है और कौन से मंत्र बोले जाते हैं

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इस वर्ष 3 सितंबर 2022, दिन शनिवार से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से श्री महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022) शुरू हो गया है। भाद्रपद माह में आने वाला यह व्रत 16 दिनों का जारी रहता है। धन-वैभव, ऐश्वर्य और संपूर्ण सुखों को देने वाली देवी माता महालक्ष्मी का इन खास दिनों में विधिपूर्वक पूजन किया जाता है तथा तथा अच्छी सेहत एवं सुखी जीवन की कामना से यह व्रत रखा जाता है।


इन‍ दिनों महालक्ष्मी जी के कुछ खास मंत्रों का जाप करने से माता प्रसन्न होकर आपकी हर कामना पूर्ण होती हैं। यहां पढ़ें पूजन विधि और खास मंत्र-(Mahalaxmi Vrat Mantra n Pujan Vidhi) 
 
महालक्ष्मी स्थापना विधि : mahalaxmi sthapana vidhi
 
1. प्रात:काल उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें।
 
2. पूजा स्थल को साफ करके मां महालक्ष्मी की मूर्ति को चौकी सजाएं।
 
3. चौकी यां पाट पर लाल, पीला या केसरिया रंग का सूती कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं थोड़े चावल रखें। 
 
4. चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं। श्रीयंत्र के साथ ही तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें।
 
5. आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें। अब परिवार के सभी सददस्य एकत्रित होकर महालक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते हुए मूर्ति को पाट पर विराजमान करें। अब विधिवत पूजा करके आरती करें और प्रसाद बांटें। 
 
6. मंत्र : लक्ष्मी बीज मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः', महालक्ष्मी मंत्र 'ॐ श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्मीये नमः' या लक्ष्मी गायत्री मंत्र 'ॐ श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ॐ' का जाप कर सकते हैं।
 
महालक्ष्मी पूजा विधि : Mahalaxmi Vrat puja vidhi
 
1. देवी महालक्ष्मी के सामने हाथ जोड़ें और व्रत का संकल्‍प लें। 
 
2. देवी को दीप-धूप दिखाएं और घी का दीया जलाएं। पूजन में सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
3. फिर देवी के मस्तक पर हलदी कुंकू और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
4. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए। 
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। 
 
6. माता को श्रीफल, खीर, हलुआ, ईख (गन्ना), सिंघाड़ा, मखाना, बताशे, अनार, पान और आम्रबेल का भोग अर्पित कर सकते हैं। पीले रंग के केसर भात भी माता को अर्पित करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। माता लक्ष्मी को पीले और सफेद रंग के मिष्ठान भी अर्पित कर सकते हैं। 
 
7. महालक्ष्‍मी व्रत की कथा पढ़ें। अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
8. शाम को पूजा करके व्रत खोल सकते हैं। हर क्षेत्र में पारण का समय अलग अलग होता है।
 
9. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके। 
 
10. महालक्ष्मी शंख घर में रखकर उसकी नियमित पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती है। महालक्ष्मी शंख के होने से धन और समृद्धि के रास्ते खुल जाते हैं।
 
आइए यहां पढ़ें खास मंत्र- Mahalaxmi Vrat Mantra
 
(1) धन मंत्र : 'ॐ आद्य लक्ष्म्यै नम:'।
 
(2) यश लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ विद्या लक्ष्म्यै नम:'।
 
(3) आयुलक्ष्मी मंत्र :  'ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:'। 
 
(4) वाहन लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ वाहन लक्ष्म्यै नम:'।
 
(5)‍ स्थिर लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ स्थिर लक्ष्म्यै नम:'/ 'ॐ अन्न लक्ष्म्यै नम:'।
 
(6) सत्य लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ सत्य लक्ष्म्यै नम:'
 
(7) संतान लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ भोग लक्ष्म्यै नम:'।
 
(8) गृह लक्ष्मी मंत्र : 'ॐ योग लक्ष्म्यै नम:' का जप करें।
 
 
9) खास मंत्र- 'ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोद्यात'।
 

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