वर्ष 2022 में श्री महालक्ष्मी व्रत शनिवार, 3 सितंबर से मनाया जाएगा। इस व्रत के तहत 16 दिनों तक देवी महालक्ष्मी घर में विराजेंगी। इस व्रत का समापन 17 सितंबर 2022 को होगा। महाराष्ट्रीयन परिवारों में मनाया जाने वाला यह खास श्री महालक्ष्मी व्रत कई घरों में 3 दिवसीय मनाया जाता है, जिसे तीन दिनी महालक्ष्मी पर्व के नाम से जाना जाता है। भारत के कई जगहों पर यह पर्व 8 दिन तो कई स्थानों पर 16 दिनों तक मनाया जाता है। इस व्रत में गौरी यानी माता पार्वती और देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
शास्त्रों में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। व्रत संबंधित मान्यतानुसार लक्ष्मी जी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है, जब घर में कोई शादी हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। इन माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे। यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की शुभ तिथियां एवं पूजन की सबसे सरल विधि- Mahalaxmi Vrat 2022
पूजन विधि : Mahalaxmi vrat puja Vidhi
- श्री महालक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
- आश्विन (क्वांर) कृष्ण पक्ष (बिदी) की अष्टमी के दिन उपवास (व्रत) रखें। स्नान के बाद पूर्ण श्रृंगार करें। 18 मुट्ठी गेहूं के आटे से 18 मीठी पूड़ी बनाएं। आटे का एक दीपक बनाकर 16 पुड़ियों के ऊपर रखें तथा दीपक में एक घी-बत्ती रखें, शेष दो पूड़ी महालक्ष्मी जी को चढ़ाने के लिए रखें।
- सायंकाल में जिस स्थान पर पूजन करना हो, उसे गोबर से लीपकर पवित्र करें।
- रंगोली बनाकर बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर हाथी को रखें।
- तांबे का एक कलश जल से भरकर पटे के सामने रखें।
- एक थाली में पूजन की सामग्री (रोली, गुलाल, अबीर, अक्षत, आंटी (लाल धागा), मेहंदी, हल्दी, टीकी, सुरक्या, दोवड़ा, दोवड़ा, लौंग, इलायची, खारक, बादाम, पान, गोल सुपारी, बिछिया, वस्त्र, फूल, दूब, अगरबत्ती, कपूर, इत्र, मौसम का फल-फूल, पंचामृत, मावे का प्रसाद आदि) रखें।
- भोजन के पश्चात रात्रि जागरण तथा भजन-कीर्तन करें।
- दूसरे दिन प्रात: हाथी को जलाशय में विसर्जन करके सुहाग-सामग्री ब्राह्मण को दें तथा व्रत का समापन करें।