सूर्य समस्त ग्रहों में प्रथम माना जाता है इसलिए सूर्य को भगवान की संज्ञा दी गई है। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश ही 'मकर संक्रांति' कहलाती है। इस बार इसका स्वरूप कैसा है आइए जानते हैं। माघ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मूल नक्षत्र, ध्रुव योग, वणिज करण पर सूर्यदेव का आगमन हो रहा है।
इस बार संक्रांति वाहन महिष, उपवाहन ऊंट, वस्त्र श्याम, आयुध तोमर, जाति विप्र, भक्षण दही, लेपन आंवला, वय प्रगल्भा, पात्र पीकर, भूषण मणि, कंचुक श्वेत, स्थिति खड़ी, फल क्लेश है। संक्रांति मूल में होने से 30 मुहूर्ती है। इसका फल 'सम' कहा गया है।
संक्रांति रविवार को है तथा इसका गमन दक्षिण में व दृष्टि नैऋत्य पर है। रविवार को होने से शासक वर्ग में परस्पर विरोधाभास रहता है। अग्निकांड, दो देशों में युद्ध की आशंका रहती है। अन्न, गेहूं, जो, चना, उड़द, मूंग, बाजरा में घट-बढ़ होकर तेजी का रुख रहता है।
गुड़, खांड, शकर, सरसों, अलसी, तेल, तिल, रेशमी, ऊनी वस्त्र में तेजी की स्थिति रहती है। चांदी, चावल में मंदी की स्थिति रहती है। मसाले, नमक, मिर्च धनिया, गोला, किशमिश, दाख, छुआरा में मंदी होकर तेजी का माहौल बनता है।
देश के लिए कैसी होगी संक्रांति
वृषभ लग्न में संक्रांति है अत: चतुर्थ (सुख भाव) का स्वामी अष्टम में संक्रांति काल में है। इस स्थिति में होने से देश में जनता के सुखों के लिए कुछ खास नहीं होगा। जनता में रोग, शोक का कारण बनेगा। लग्नेश शुक्र केतु के साथ होने से स्त्री जाति को कष्ट रहता है।