'मलमास' में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत-उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं। दिनांक 13 अप्रैल 2025, वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि, दिन रविवार से सूर्य के गोचरवश मेष राशि में प्रवेश करते ही विगत एक मास से जारी 'मलमास' समाप्त हो गया है एवं शुभकार्यों सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रतउद्यापन आदि का प्रारंभ ह गया है।
13 अप्रैल को खरमास (मलमास) के समाप्त होते विवाह आदि समस्त शुभ कार्यों का प्रारंभ होगा किंतु यह केवल 11 जून 2025 तक ही जारी रहेगा, क्योंकि 12 जून 2025 आषाढ़ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को गुरु का तारा अस्त होगा जो दिनांक 05 जुलाई 2025, आषाढ़ शुक्ल दशमी, दिन शनिवार को उदित होगा।
06 जुलाई को होगा देवशयन :
हमारे सनातन धर्म में देवशयन को अति-महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे चातुर्मास भी कहा जाता है। देवशयन की अवधि में विवाह विशेष रूप से वर्जित रहता है। गुरु तारे के उदित होते ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवशयनी एकादशी), दिनांक 06 जुलाई 2025 दिन रविवार को देवशयन हो जाएगा।