30 अप्रैल से 22 जून 2019 तक का चरण कई अप्रत्याशित घटनाओं का संकेत दे रहा है। इस समय ग्रहों के दुष्प्रभाव से प्रतिकूल घटनाओं के उत्पन्न होने की संभावना है। इस अवधि में केतु-शनि, मंगल-राहु और मंगल-प्लूटो की युति बन रही है।
विशेषकर मंगल अग्नितत्व का ग्रह है और इसका स्वभाव उग्र है। पृथ्वी पुत्र होने से भूमि कारक की प्रधानता होती है, इसलिए पाप ग्रहों के साथ इसकी युति, आने वाले दिनों में भूकंप या भूमि संबंधी आपदाओं की संभावना में बढ़ोतरी कर सकती है। मंगल युद्ध का भी कारक है। ऐसे में इसके प्रभाव में देशों के बीच युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति या व्यक्तिगत विवादों की संभावना भी बढ़ जाएगी।
इस अवधि के दौरान भूकंप की संभावना होने के कारण, विशेष रूप से भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। मंगल ग्रह को वाहनों का कारक भी माना जाता है, ऐसे में पाप ग्रहों के साथ युति के कारण वाहन व्यवहार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
अत: इस दौरान हवाई दुर्घटना, सड़क या रेल दुर्घटनाओं की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। भयंकर बारिश, धूल भरे आंधी-तूफान और बर्फबारी की भी संभावना रहेगी।
मंगल ग्रह कृषि से जुड़ा होने की वजह से इस क्षेत्र में भी असर दिखाई देगा। प्रतिकूल ग्रहों की स्थिति के कारण, फसल हानि, बीमारी या भारी बारिश की स्थिति में फसल खराब होने के कारण आर्थिक नुकसान संभव है। यह स्थिति देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
मंगल की विपरीत युति, देश में भी आंतरिक विद्रोह, आतंकवादी हमले और सैन्य गतिविधि आदि का संकेत दे रही है। इस दौरान आर्थिक बदइंतजामी के कारण लोगों में अविश्वास बढ़ेगा, साथ ही मंगल ग्रह के साथ पाप ग्रहों की युति के कारण आर्थिक संकट जैसी समस्याओं को भी नकारा नहीं जा सकता।
ऐसी स्थिति में, विदेशी मुद्रा की तुलना में स्थानीय मुद्रा में भी कटाव हो सकता है और इससे शेयर बाजार में अत्यधिक उथल-पुथल की संभावना भी बढ़ जाएगी। हालांकि, ज्योतिषीय उपायों के जरिए ग्रह स्थितियों के प्रतिकूल प्रभाव को टाला जा सकता है या उनके प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस स्थिति के बाद थोड़ी, सावधानी बरतकर बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।