इस बार जुलाई में सात और 13 तारीख का ही मुहूर्त है। 15 जुलाई के बाद चातुर्मास लगने से चार माह तक शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। बहरहाल, अलग-अलग पंचांगों में मतांतर होने के कारण तारीखों में यह भिन्नता दिख रही है। सात और 13 तारीख के मुहूर्त को लेकर कई पंडितों की राय एक ही है।
11 नवंबर को देव उठनी एकादशी से भगवान के जागने के साथ ही विवाह के मुहूर्त फिर एक महीने तक बनेंगे। इस अवधि में लोग सिर्फ भगवान के भजन-कीर्तन कर सकेंगे। चातुर्मास में शादी-ब्याह, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार आदि सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।