सूर्य मेष संक्रांति का महत्व और पुण्यकाल क्या है?

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Mesh Sankranti : सूर्य के मेष राशि में प्रवेश को मेष संक्रांति कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह संक्रांति 14 अप्रैल को करीब 02 बजकर 42 मिनट पर होगी। सूर्य इस राशि में 15 मई तक रहेंगे। सूर्य के मेष में गोचर करते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा।  आओ जानते हैं सूर्यदेव का मेष राशि में भ्रमण काल का महत्व और पुण्यकाल।
 
मेष संक्रांति का महत्व : मेष संक्रांति को वर्ष की शुरुआत का समय भी माना जाता है। इस दिन को भारत के कई राज्यों में त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। जैसे बंगाल में पोहेला बोइशाख, पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पाना संक्रांति आदि। खगोलशास्त्र के अनुसार मेष संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन की आधी यात्रा पूर्ण कर लेते हैं। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। सूर्य का मेष राशि में प्रवेश सौरवर्ष या सोलर कैलेंडर का पहला माह है। इस दिन से खरमास समाप्त होने से मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है।
 
क्या है पुण्यकाल : सुबह 11:01 बजे से शाम को 06:55 तक। अवधि- 07 घण्टे 55 मिनट्स।
 
मेष संक्रांति का महा पुण्यकाल- दोपहर 01:06 बजे से शाम 05:17 बजे तक। अवधि- 04 घण्टे 11 मिनट्स।
मेष संक्रांति का क्षण- दोपहर 03:12 बजे।

सूर्य पूजा : इस दिन सूर्य पूजा का खास महत्व रहता है। सूर्य पूजा से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इस दिन विधिवत रूप से सूर्यदेव को अर्घ्‍य अर्पित करें।
 
मेष संक्रांति का फल : वस्तुओं की लागत सामान्य रहने वाली है। धन और समृद्धि में वृद्धि होगी। लोगों की सेहत में सुधार होगा, दो राष्ट्रों के बीच संबंधों में भी सुधार होगा। अनाज के भंडारण में भी वृद्धि होगी।

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