नवरात्र आह्वान है दैवीय शक्तियों को जगाने का ताकि हम पर देवी शक्ति की कृपा हो, हम सभी संकट, रोग, दुश्मन व अप्राकृतिक आपदा से बच सकें। शरीर के तेज में वृद्धि हो, मन निर्मल हो। आत्मिक, दैविक व भौतिक शक्तियों का लाभ मिल सके।
चैत्र नवरात्र में मां भगवती जगत-जननी को आह्वान कर दुष्टात्माओं का नाश करने हेतु जगाया जाता है।
वैसे मां के दरबार में दोनों ही नवरात्रों- चैत्र व आश्विन मास में पड़ने वाले शारदीय नवरात्र में धूमधाम रहती है।
चैत्र नवरात्र में घरों में देवी प्रतिमा की घटस्थापना करते हैं व इसी दिन से नववर्ष प्रारंभ होता है। सारा हिन्दू समाज इस दिन को 'गुड़ी पड़वा' के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाता है। घर-घर में उत्साह का माहौल रहता है। कुछ साधकगण शक्तिपीठों में जाकर अपनी-अपनी सिद्धियों को बल देते हैं। अनुष्ठान व हवन आदि का भी पर्व होता है।
कुछ वॉक शक्ति को बढ़ाते हैं तो कोई अपने शत्रुओं से राहत पाने हेतु मां बगुलामुखी का जाप-हवन आदि करते हैं। कोई काली उपासक हैं तो कोई दुर्गा। कुछ भी हो, किसी न किसी रूप में पूजा तो देवी की ही होती है। देवी आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है चैत्र नवरात्रि का, इस शुभ अवसर का लाभ उठाया जाना चाहिए।