कहते हैं कि रावण के छह भाई थे जिनके नाम ये हैं- कुबेर, विभीषण, कुम्भकरण, अहिरावण, खर और दूषण। खर, दूषण, कुम्भिनी, अहिरावण और कुबेर रावण के सगे भाई बहन नहीं थे। विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। ऐसा कहीं पर भी स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है कि कुंभकरण छह माह नहीं सोता था। छह माह सोने का वरदान उसे भगवान ब्रह्मा से मिला था। हालांकि यह जरूर कहीं कहीं मिलता है कि कुंभकरण और उसकी पत्नी दोनों ही यंत्र बनाने में रुचि रखते थे।
1. कुंभकर्ण की पत्नी : कुंभकर्ण की पत्नी वरोचन की कन्या वज्रज्वाला थीं। उसकी एक दूसरी पत्नी का नाम कर्कटी था। कुंभपुर के महोदर नामक राजा की कन्या तडित्माला से भी कुंभकर्ण का विवाह हुआ। कुंभकर्ण के एक पुत्र का नाम मूलकासुर था जिसका वध माता सीता ने किया था। दूसरे का नाम भीम था। कहते हैं कि इस भीम के कारण ही भीमाशंकर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी।
3. एक दिन छोड़कर वर्ष भर सोना : ऐसी भी मान्यता है कि रावण का भाई कुंभकर्ण 6 महीने बाद 1 दिन जागता और भोजन करके फिर सो जाता था, क्योंकि इसने ब्रह्माजी से इंद्रासन की जगह निद्रासन का वरदान मांग लिया था। इसका शरीर विशालकाय था।
5. कुंभकर्ण की मृत्यु : युद्ध के दौरान किसी तरह कुंभकर्ण को जगाया गया। कुंभकर्ण ने युद्ध में अपने विशाल शरीर से वानरों पर प्रहार करना शुरू कर दिया इससे राम की सेना में हाहाकार मच गया। सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए राम ने कुंभकर्ण को युद्ध के लिए ललकारा और भगवान राम के हाथों कुंभकर्ण वीरगति को प्राप्त हुआ। उसके शव के गिरने से लंका का बाहरी फाटक और परकोटा गिर गया था।
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