Maa Mahagauri Puja Vidhi: धार्मिक शास्त्रों में आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि का बहुत महत्व माना गया है। शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। महाष्टमी के दिन नवरात्रि की आठवीं देवी मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। अष्टमी के दिन निम्न मंत्र से माता का ध्यान लगाने तथा पूजन करने से देवी प्रसन्न होती है।
आइए जानते हैं नवरात्रि की आठवीं देवी मां महागौरी का कवच, स्तोत्र, पूजन विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त-
पूजा विधि-
- नवरात्रि के आठवें दिन, शक्ति स्वरूपा महागौरी का दिन होता है।
- मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें।
- हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें-
'सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥'
- इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है।
- सौभाग्य प्राप्ति और सुहाग की मंगल कामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है।
- इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।
अष्टमी के दिन महागौरी की आराधना इस तरह करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
22 अक्टूबर 2023, रविवार के मुहूर्त-
सन्धि पूजा प्रारंभ 11.04 ए एम पर
सन्धि पूजा समाप्त 11.52 ए एम पर।
धृति योग- 01.23 पी एम तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05.03 ए एम से 10.14 ए एम
रवि योग- 10.14 ए एम से 23 अक्टूबर को 05.02 ए एम तक।
ब्रह्म मुहूर्त-03.30 ए एम से 04.16 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 03.53 ए एम से 05.03 ए एम
अभिजित मुहूर्त-10.49 ए एम से 11.38 ए एम
विजय मुहूर्त-01.17 पी एम से 02.07 पी एम
गोधूलि मुहूर्त-05.24 पी एम से 05.48 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.34 पी एम
अमृत काल- 10.59 पी एम से 23 अक्टूबर को 12.29 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त-10.50 पी एम से 11.37 पी एम तक।
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