ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक व मंगल को रक्त का कारक माना गया है। अतः जब जन्मकुंडली में सूर्य या मंगल, पाप प्रभाव में होते हैं तो पितृदोष का निर्माण होता है। इस प्रकार कुंडली से समझा जाता है कि जातक पितृदोष से युक्त है। यदि समय रहते, इस दोष का निवारण कर लिया जाए तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।