प्रदोष काल में ये 5 काम करेंगे तो सभी तरह के संकट हो जाएंगे दूर
What should be done during Pradosh period: यदि आपको किसी अमंगल से बचना हो तो शिवजी के प्रदोष काल को जानना जरूरी है। शास्त्रानुसार प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है। कुछ विद्वान मतांतर से इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मान्यता देते हैं। इसी के साथ संधिकाल प्रारंभ होता है। संधिकाल में कुछ ऐसा कार्य हैं जिन्हें बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और 5 ऐसे कार्य है जिन्हें जरूर करना चाहिए।
शिव का समय : सूर्यास्त से दिन अस्त तक का समय भगवान 'शिव' का समय होता है जबकि वे अपने तीसरे नेत्र से त्रिलोक्य (तीनों लोक) को देख रहे होते हैं और वे अपने नंदी गणों के साथ भ्रमण कर रहे होते हैं। इस काल में भूतों के स्वामी भगवान रुद्र का जो अपराधी होता है कठोर दंड पाता है। इस काल को धरधरी का काल कहते हैं जबकि राक्षसादि प्रेत योनि की आत्माएं सक्रिय रहती है। इस समय जो पिशाचों जैसा आचरण करते हैं, वे नरकगामी होते हैं।
इस काल में ये कार्य बिल्कुल न करें:-
1. सोना
2. सहवास करना
3. खाना-पीना
4. यात्रा करना
5. असत्य बोलना
6. क्रोध करना
7. शाप देना
8. झगड़े करना
9. गालियां देना या अभद्र बोलना
10. शपथ लेना
11. धन लेना या देना
12. रोना या जोर-जोर से हंसना
13. वेद मंत्रों का पाठ करना
14. कोई शुभ कार्य करना
15. चौखट पर खड़े होना
16. किसी भी प्रकार का शोर-शराब करना
इस काल में ये 5 कार्य जरूर करें:-
1. संध्या वंदन करें : इस काल में संध्या वंदन नहीं कर सकते हैं तो जप, पूजा-पाठ, प्रार्थना या ध्यान करें। इस काल में की गई प्रार्थना का असर जल्द होता है।
2. मौन रहें : यदि कुछ भी नहीं कर सकते हैं तो इस काल में मौन रहना सबसे उत्तम माना गया है। ऐसा करने वाले सभी तरह के संकटों से स्वत: ही बच जाते हैं।
3. सुगंध फैलाएं : घर के वातावरण को सुगंधित करने के लिए सुगंध फैलाएं। धूपबत्ती जलाएं या कर्पूल प्रज्वलित करें।
4. भजन सुनें : इस काल में भगवान के भजन सुनें। यह आपके मस्तिष्क को सकारात्मक दिशा प्रदान करेगा।
5. अच्छी बातों पर विचार करें : यह बहुत महत्वपूर्ण काल रहता है। इस काल में हमारे द्वारा सोची गई बात का असर होता है। इसलिए सकारात्मक सोचें।