Shri tripura sundari Bhairavi jayanti 2023: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन त्रिपुर भैरवी जयंती मनाई जाती है। इस बार यह जयंती 26 दिसंबर 2023 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इसी दिन दत्तात्रेय जयंती भी रहेगी। मां त्रिपुर भैरवी 10 महाविद्याओं में से छठी महाविद्या है जो सौम्य कोटि की देवी मानी जाती है। आओ जानते हैं कि इस दिन क्या करते हैं।
कौन है भैरवी : माता भैरवी को कालिका ही स्वरूप माना जाता है। इन्हें ही त्रिपुर भैरवी भी कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी त्रिपुर भैरवी ने ही महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था। कहते हैं कि देवी त्रिपुर भैरवी का संबंध महादेव के उग्र स्वरूप काल भैरव से है। मां भैरवी की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। उनके बाल खुले हुए रहते हैं। वे लाल वस्त्र पहने हुए मां मुंड माला धारण करती हैं। कालभैरव की तरह उन्हें भी दंडाधिकारी कहा जाता है। श्मशान भूमि, अस्त्र शस्त्र, मृत शव, रक्त, मांस, कंकाल, खप्पर, आदि विध्वंसकारी चीजें देवी को प्रिय हैं। भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी, भैरव, कुत्ते आदि उनकी सेना हैं।
देवी कथा : नारद-पाञ्चरात्र के अनुसार एक बार जब देवी काली के मन में आया कि वह पुनः अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें तो यह सोचकर देवी अन्तर्धान हो जाती हैं। भगवान शिव जब देवी को को अपने समक्ष नहीं पाते तो व्याकुल हो जाते हैं और उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं। शिवजी, महर्षि नारदजी से देवी के विषय में पूछते हैं तब नारदजी उन्हें देवी का बोध कराते हैं वह कहते हैं कि शक्ति के दर्शन आपको सुमेरु के उत्तर में हो सकते हैं। वहीं देवी की प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात संभव हो सकेगी। तब भोले शिवजी की आज्ञानुसार नारदजी देवी को खोजने के लिए वहां जाते हैं। महर्षि नारदजी जब वहां पहुंचते हैं तो देवी से शिवजी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखते हैं यह प्रस्ताव सुनकर देवी क्रुद्ध हो जाती हैं और उनकी देह से एक अन्य षोडशी विग्रह प्रकट होता है और इस प्रकार उससे छाया विग्रह 'त्रिपुर-भैरवी' का प्राकट्य होता है।