Rama Ekadashi 2021 आज रमा एकादशी मनाई जा रही है। भगवान विष्णु को सभी व्रतों में एकादशी सबसे अधिक प्रिय है और रमा एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की साथ पूजन करने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस एकादशी का सच्चे मन से व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल मिलता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से रमा एकादशी का उपवास रखता है, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक कृष्ण की इस एकादशी का नाम रमा है। रमा/ रंभा एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यह एकादशी चातुर्मास की अंतिम एकादशी है। इस वर्ष यह एकादशी 1 नवंबर 2021, दिन सोमवार को मनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। आज सुबह 07:56 मिनट से सुबह 09:19 मिनट तक राहुकाल होने के कारण आप इस समय को छोड़कर रमा एकादशी का पूजन दिन में कभी भी कर सकते हैं।
दीपावली पूर्व आने वाली कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन से ही धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह एकादशी इसीलिए भी अधिक महत्वपूर्ण मानी गई है, क्योंकि श्रीहरि विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है, अत: यह एकादशी विष्णुजी को अधिक प्रिय है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सभी सुखों और ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।
Rama Ekadashi Muhurat रमा एकादशी तिथि एवं पूजन के शुभ मुहूर्त-
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ रविवार, 31 अक्टूबर 2021 को दोपहर 02.27 मिनट से होकर सोमवार, 01 नवंबर 2021 को दोपहर 01.21 मिनट पर एकादशी की समाप्ति हो रही है। एकादशी व्रत के लिए उदयातिथि मान्य होती है, अत: रमा एकादशी का व्रत सोमवार, 01 नवंबर को ही रखा जाएगा। 01 नवंबर को रात 09.05 मिनट तक इंद्र योग है। अत: इस वर्ष रमा एकादशी का व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार मांगलिक कार्यों के लिए इंद्र योग बहुत ही शुभ माना जाता है।
Rama Ekadashi Paran Time रमा एकादशी व्रत पारण का शुभ समय 2 नवंबर, मंगलवार को सुबह 06.39 मिनट से सुबह 08.56 मिनट तक रहेगा।
इन मंत्रों का करें जाप-
मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'
मंत्र- ॐ विष्णवे नम: का जाप करें।
मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
मंत्र- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
मंत्र- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।