सूर्य की मीन संक्रांति कब है, जानें महत्व

Meen Sankranti 2024: 14 मार्च 2024 गुरुवार के दिन सूर्यदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस गोचर को संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य, बृहस्पति की राशि धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब से ही खरमास आरंभ होता है। माना जाता है कि इस दौरान सूर्य की गति मंद पड़ जाती है। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है।
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मीन संक्रांति का महत्व meen kumbh sankranti ka mahatva:- 
surya in meen

मीन संक्रांति की सरल पूजा विधि :
1. मीन संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा और उपासना की जाती है, जिससे जीवन की नकारात्मकता दूर होकर ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
 
2. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नदी में स्नान करें या घर में सामान्य पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। 
 
3. स्नान करने के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चंदल, चावल तथा फूल मिलाकर सूर्यदेव को प्रणाम करके उन्हें अर्घ्य दें। उस समय तांबे या कांसे की थाली नीचे रख लें ताकि सूर्य को चढ़ाया गया जल उसमें एकत्रित हो जाए। उस जल को माथे पर, हृदय पर और दोनों बाहों में लगाएं।
 
4. मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करें और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। साथ ही आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।
 
5. इस दिन दान करना और गाय का चारा खिलाना भी बहुत शुभ माना गया है।
 
मीन संक्रांति के वर्जित कार्य : सूर्यदेव का जब-जब गुरु की राशि धनु एवं मीन में परिभ्रमण होता है या धनु व मीन संक्रांति होती है तो वह मलमास कहलाती है। ऐसे में सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। मलमास में नामकरण, विद्या आरंभ, कर्ण छेदन, अन्न प्राशन, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृहप्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है। मतलब यह कि 14 मार्च से 14 अप्रैल तक सभी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।

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