19 मई 2023 शुक्रवार का दिन अत्यंत शुभ और पवित्र है। इस दिन प्रति वर्ष की तरह तीन व्रतों की त्रिवेणी बन रही है। शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ मास अमावस्या के मिलन पर्व पर जितना हो सके स्नान, दान, पुण्य और पूजा-पाठ करना चाहिए। जितना हो सके मंत्र चालीसा और स्तोत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन शनिदेव के साथ अन्य सभी देवी-देवता भी आशीष देते हैं।
शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ मास अमावस्या के पर्व को तीन भागों में उसी तरह विभाजित कर सकते हैं जैसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा के विधान में करते हैं। जैसे प्रात: काल वट सावित्री व्रत आरंभ करें, दोपहर में शनि जयंती मनाएं और रात्रि में ज्येष्ठ मास अमावस्या के शुभ दान संपन्न करें। इस दिन पितृ भी प्रसन्न किए जा सकते हैं। ग्रहों को भी अनुकूल बनाया जा सकता है और देवी देवताओं के बरसते आशीर्वाद भी लिए जा सकते हैं।
यहां प्रस्तुत है लिंक तीनों पर्व के विशेष आलेखों की.....