शनि मंगल की राशि छोड़कर 26 जनवरी, 2017 की रात गुरु की मित्र राशि धनु में रात्रि 8 बजे से प्रवेश कर रहे हैं।
शनि की तृतीय स्वदृष्टि कुंभ पर पड़ेगी वहीं सप्तम दृष्टि मित्र राशि मिथुन पर पड़ेगी। दशम दृष्टि कन्या राशि पर पड़ेगी। इस प्रकार भावेश भावाम के तहत बुध ने शनि का दोहरा प्रभाव ले रखा है। शनि बुध का मित्र है अत: मिथुन व कन्या राशि वालों पर शनि की कृपा रहेगी।
शनि का सिंह लग्न में प्रवेश करने से शनि पंचम भाव में एकादशेश व द्वादशेश चन्द्र के साथ होने से विद्यार्थी वर्ग के लिए सुखद रहेगा। सरकार अपनी बुद्धि कौशल से जनता का मन जीतने में सफल होगी। आय के साधनों में देश उन्नति करेगा।
दैनिक व्यवसायियों को लाभ के योग बनते रहेंगे। दशम व्यापार-व्यवसाय भाव का स्वामी शनि से दृष्ट होकर कुंभ राशि में सप्तमस्थ होने से स्त्री वर्ग पर अत्याचार नहीं रुकेंगे, वहीं बलात्कार की घटनाओं में कमी नहीं आएगी।
घटना-दुर्घटनाओं में कमी के योग कम ही हैं। शत्रु पक्ष पर प्रभाव में वृद्धि होगी। दशमेश शुक्र केतु के साथ है, जो नौकरीपेशा वर्ग के लिए शुभ नहीं है। शनि का 7 अप्रैल से वक्री होकर 25 अगस्त तक रहना घटना-दुर्घटनाओं का रहेगा।
यह समय शासन-प्रशासन के लिए कड़ी परीक्षा का रहेगा। राजनेताओं को सावधानीपूर्वक चलना होगा। कहीं भूकंप या रेल दुर्घटनाओं के योग बनेंगे। शनि लोहे का कारक होता है व वक्र गति से चलने से उक्त समय सावधानी का रहेगा। शनि का राशि परिवर्तन देश के लिए खतरे का भी संकेत है।