अखाड़ों के खर्च भी कई प्रकार के होते हैं:
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साधु-संतों का पालन –पोषण पर : अखाड़ों में रहने वाले साधु-संतों के भोजन, वस्त्र और आवास का खर्च अखाड़ों द्वारा वहन किया जाता है।
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मंदिरों का रखरखाव: अखाड़ों द्वारा संचालित मंदिरों के रखरखाव और मरम्मत पर भी खर्च होता है।
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सामाजिक कार्य: कई अखाड़े शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक कार्यों में भी योगदान देते हैं। अखाड़ों द्वारा संचालित स्कूलों, अस्पतालों और सामाजिक संस्थाओं को सुचारुरूप से चलने के लिए अखाड़ों की आय का इस्तेमाल होता है।
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धार्मिक आयोजन : कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों को भव्य आयोजन और साधु-संतों के आवास आदि पर भी खर्च करना होता है।
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कौन है सबसे अमीर अखाड़ा
भारत में कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं। कुछ अखाड़ों की संपत्ति हजारों करोड़ रुपये तक मानी जाती है। एक अनुमान के हिसाब से निरंजनी अखाड़ा पूरे देश में सबसे अमीर माना जाता है। इसकी अनुमानित संपत्ति एक हजार करोड़ मानी जाती है। निरंजनी अखाड़े के नासिक, उज्जैन, वाराणसी, नोएडा, जयपुर, वड़ोदरा, प्रयागराज, हरिद्वार, आदि जगहों पर आश्रम और मठ हैं।
क्या अखाड़ों पर आयकर लगता है?
अखाड़ों की आय धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए होती है। आयकर अधिनियम 12A के तहत इन धार्मिक संस्थाओं को आयकर में छूट मिलती है। । हालांकि आयकर अधिनियम के तहत अखाड़ों को अपनी आय और खर्च का हिसाब देना होता है। अखाड़ों को अपनी आय का 85% हिस्सा चैरिटी में खर्च करना जरूरी है, नहीं तो आयकर विभाग नोटिस जारी कर सकता है। कुछ मामलों में यदि अखाड़े व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल होते हैं, इस हालत में उन्हें आयकर देना पड़ सकता है।
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