शनि मार्गी से वक्री होने जा रहे हैं। 11 मई 2020 से शनि अपनी चाल को बदलते हुए वक्री हो जाएंगे। शनि की यह वक्री चाल 142 दिनों तक रहेगी। इसके बाद 29 सितंबर से शनि वक्री से फिर मार्गी हो जाएंगे। ऐसे में शनि के चाल बदलने से कई लोगों की परेशानियां बढ़ जाएगी। ज्योतिष के अनुसार शनि एक राशि में करीब ढाई वर्षों कर रहते हैं। 11 मई को शनि के वक्री होने से पहले 24 जनवरी 2020 को धनु को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश कर चुके हैं। शनि के राशि परिवर्तन से कई राशियों पर इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिला। अब शनि वक्री चाल चलेंगे ऐसे में इसका क्या असर होगा आइए जानते हैं।
कब होंगे शनि वक्री
करीब एक महीने के बाद शनि 11 मई 2020 को वक्री अवस्था में आकर अपनी चाल चलेंगे। शनि की ये वक्री चाल 142 दिनों तक चलेगी जहां फिर से 29 सितंबर को शनि मार्गी हो जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि वक्री होते हैं तो विशेष रूप से कष्टदायी रहने की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती है। जिन राशियों पर शनि के वक्री होने का प्रभाव पड़ता है उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं।
किन राशियों पर होगा शनि का अशुभ प्रभाव
ज्योतिषशास्त्र में शनि को न्याय का कारक ग्रह माना गया है। शनि के वक्री होने का सबसे ज्यादा असर उन राशि के जातकों पर पड़ेगा जिन राशि पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होगी। अगर आपकी कुंडली में शनि अशुभ भाव में बैठा है तब आपको इसका कष्ट देखने को मिलेगा वहीं अगर आपकी कुंडली में शनि शुभ भाव में है तो आपको इसका अशुभ असर देखने को नहीं मिलेगा।
वर्तमान दौर में धनु, मकर और कुंभ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वहीं 2 अन्य राशि मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या चल रही है। ऐसे में शनि के वक्री होने पर कुल पांच राशियों पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।
वक्री शनि को बली बनाने के उपाय
- प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें।
- शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप करें।