Shubh muhurat 2024: वर्ष में कई शुभ योग और मुहूर्त आते हैं जिसमें कोई कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। हर कार्य के लिए विशेष मुहूर्त होता है। जैसे 16 संस्कार, गृह प्रवेश का अलग मुहूर्त और मुंडन संस्कार के लिए अलग मुहूर्त होता है।
लग्न- मासेश्वर के बली रहते गर्भधान से- या 6 मास में केन्द्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह के रहते 3, 6, 11वें स्थान में क्रूर ग्रह और पुरुष ग्रह लग्न या नवांश में शुभ होता है।
तिथियां- 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13।
वार- मंगलवार, गुरुवार, रविवार।
पुंसवन मुहूर्त-
नक्षत्र- श्रवण, रोहिणी, पुष्य उत्तम। मृगशिरा, पुनर्वसु, हस्त, रेवती, मूल और तीनों उत्तरा मध्यम है।
गर्भधान से तीसरे मास में पुरुष संज्ञक ग्रह में लग से 1, 4, 5, 7, 6, 10 इन सब स्थानों में शुभ ग्रह हों, चन्द्रमा 1. 6, 8, 12 वेंन हों, पाप ग्रह 3, 6, 11 वें शुभ होंगे।
तिथियां- 2, 3, 5, 7. 10, 11, 12, 13।
वार- मंगलवार, गुरुवार, शुक्रवार, रवि।
सूतिका स्नान मुहूर्त-
नक्षत्र- रेवती, तीनों उत्तरा, रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, स्वाती, अश्विनी, अनुराधा। पंचम में कोई ग्रह न हो। केन्द्र 1, 4, 10, 7 में शुभ ग्रह हो।
लग्ग से 1, 5, 7, 6, 10 वें स्थानों में शुभ ग्रह हों। 3, 6, 11 पाप ग्रह शुभ। 8, 12 वें में सभी ग्रह अशुभ।
तिथियां- 1, 2, 3, 5, 7, 10 में, 13।
वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार।
अन्नप्राशन मुहूर्त-
जन्म मास से 6, 8, 10, 12 वें (सम) मास में पुत्र का और 5, 7, 6, 11 (विषम) मास में कन्या का भद्रादि दोष रहित 1, 2, 3. 5, 7, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियों में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, अश्विनी, पुष्य, स्वाती, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, तीनों उत्तरा, रोहिणी नक्षत्रों में जन्म राशि का या जन्म लग्न से अष्टम लग्न या नवांशक तथा मेष, वृश्चिक और मीन लग्न को छोड़कर ऐसे लग्न में कि 1, 3, 4, 5, 7, 8, 10 स्थानों में शुभ ग्रह हों या इन स्थानों में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हों, द्वादश स्थान ग्रह रहित होत 1, 6, 8 स्थानों में चन्द्रमा न हो तो शुभ होता है। किसी किसी के मत से जन्म नक्षत्र, अनुराधा, शतभिषा और स्वाती अशुभ हैं। शुक्ल पक्ष व पूर्वान्ह में नारदादि के मत से शुभ हैं।
लग्नेश 6, 8 में अशुभ, शुभ ग्रह 1. 4, 5, 7, 8, 10 वें स्थान में शुभ, पाप ग्रह 3, 6, 11 में, शुभ पुरुष 1, 4, 8 वें में सभी पाप ग्रह अशुभ होंगे।
तिथियां- शुक्ल पक्ष की 2, 3, 5, 10, 11, कृष्ण पक्ष की 1, 2, 3,5।
वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्र, रवि।
जल पूजा, कुआं पूजा मुहूर्त-
नक्षत्र- मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, हो अनुराधा, मूल, श्रवण नक्षत्र श्रेष्ठ। रिक्ता तिथि गुरु व शुक्रास्त, बाल, वृद्ध, चैत्र, पौष व मलमास, श्राद्ध पक्ष मासांत आदि वर्ज्य।
लग्न- कुम्भ लग्न को छोड़कर, चन्द्र, शुक्र लग्न में रहते 8, 12 वें पाप ग्रह न हों। 2, 10, 11 वे शुभ ग्रह हैं।
तिथियां- 2, 3, 5, 7, 11, 13।
वार- बुध, गुरु, शुक्र।
ऋण का लेन-देन करना-
वार रविवार, मंगलवार, संक्रांति दिन, वृद्धि योग द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर योग और हस्त नक्षत्र में कभी ऋण न दें। अगर ले लिया जाए तो उस ऋण से कभी मुक्ति न मिले और बुध के दिन कभी उधार न दें।
नौकरी करने का मुहूर्त-
नक्षत्र- अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, अनुराधा, रेवती नक्षत्र शुभ होते हैं।
मंत्र सिद्धि मुहूर्त-
नक्षत्र- अश्विनी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, विशाखा, श्रवण नक्षत्र शुभ हैं रवि पुष्य अत्यंत शुभ हैं।
तिथियां- 2,3,5,7,10,11,13, 15।
वार- सोमवार, मंगलवार, बुध, गुरु, शुक्र।
मुकदमा दायर करना-
नक्षत्र- भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, मघा, तीनों पूर्वा, ज्येष्ठा, मूल नक्षत्र शुभ होते हैं।
लग्न- 3, 5, 7, 8, 11 शुभ होते हैं। सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र, चन्द्र 1, 4, 7, 10 स्थान में पाप ग्रह 3, 6, 11 स्थान में शुभ होते हैं परन्तु 8 वें कोई ग्रह न हो। तिथियां- 3, 5, 8, 10, 13, 15।
वार- बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, रविवार।
गृह निर्माण-
नक्षत्र- रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा, इस स्वाती, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती नक्षत्र शुभ हैं। वैशाख, श्रावण, पौष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ हैं। लग्न- 2, 3, 5, 6, 8, 6, 11, 12 शुभ। शुभ ग्रह लम से 1, 4, 5, 7, 6, 10 इन स्थानों में एवं पाप ग्रह 3, 6, 11 शुभ होते हैं। 8, 12 में कोई ग्रह नहीं लेना चाहिए।
तिथियां- 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13, 15।
वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार।
नू्तन गृह प्रवेश-
नक्षत्र- रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, रेवती तीनों उत्तरा शुभ हैं। लग्न 2, 5, 8, 11 उत्तम हैं। 3, 6, 9, 12 मध्यम हैं, लग्न से 1, 2, 3, 4, 7, 10, 11 स्थानों में शुभ ग्रह शुभ होते हैं। 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह शुभ होते हैं। वे में कोई ग्रह नहीं होना चाहिए। माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ मास में प्रवेश उत्तम होता है।
तिथियां- 2, 3, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 13।
वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्र, शनि।
जीर्ण गृह प्रवेश-
नक्षत्र- रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, तीनों उत्तरा, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती नक्षत्र शुभ हैं। वैशाख, ज्येष्ठ, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष (अगहन), माघ, फाल्गुन मास श्रेष्ठ हैं। लग्न शुद्धि अवश्य करें।
लग्न शुद्धि आवश्यक है। सूर्य नक्षत्र से दिन नक्षत्र तक गणना करें। 1 से तक नेष्ट, 10 से 15 श्रेष्ठ, 16 से 24 नेष्ट, 25 से 28 श्रेष्ठ होते हैं लम से 8, 12 वें कोई ग्रह न हो।