Tula sankranti 2023: सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से मकर, मेष, मिथुन, धनु और कर्क संक्रांति को महत्वपूर्ण माना जाता है परंतु किन्हीं राज्यों में कन्या, तुला और मीन संक्रांति को भी महत्व दिया जाता है। आओ जानते हैं कि तुला संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त।ALSO READ: Tula sankranti 2024: तुला संक्रांति का महत्व और पूजा विधि
तुला संक्रांति कब होगी: 18 अक्टूबर 2023 बुधवार को तुला संक्रांति होगी। सूर्य करीब दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर तुला राशि में प्रवेश करेगा।
सूर्य में तुला का प्रभाव : सूर्यदेव मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं। इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सौर मास के दो हिस्से है उत्तरायण और दक्षिणायम। सूर्य के मकर राशि में जाने से उत्तरायण प्रारंभ होता है और कर्क में जाने पर दक्षिणायन प्रारंभ होता है। इस बीच तुला संक्रांति होती है।
शुभ मुहूर्त:-
अमृत काल : सुबह 10:24 से 12:02 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:20 से 03:07 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:14 से 06:38 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:33 से 09:01 तक।
अमृत सिद्धि योग : सुबह 06:33 से 09:01 तक।
रवि योग : सुबह 06:33 से 09:01 तक।
तुला संक्रांति का महत्व | Significance of Tula Sankranti:-
तुला संक्रांति का कर्नाटक में खास महत्व है। वहां इसे 'तुला संक्रमण' कहा जाता है।
इस दिन 'तीर्थोद्भव' या 'तीर्थधव' के नाम से कावेरी के तट पर मेला लगता है, जहां स्नान और दान-पुण्य किया जाता है।
इस तुला माह में कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।
तुला संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से भी है।
तुला संक्रांति के दिन नदी स्नान और पितृ तर्पण भी किया जाता है।
तुला संक्रांति के दिन पूजा करने के बाद गुड़-तिल का प्रसाद बांटाते हैं।
पूर्णिमा, चतुर्थी, एकादशी, प्रदोष जैसे व्रतों की तरह संक्रांति के दिन की भी बहुत मान्यता है।
मत्स्यपुराण में संक्रांति के व्रत का वर्णन किया गया है।