7 मई को पितृ कर्म और पूजा करें : यदि पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो 7 मई की दोपहर में करें। यानी 12 बजे के बाद पूजा करें। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इससे आरोग्य और मोक्ष प्राप्त होता है।