धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माता वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार ही माना जाता हैं और माता वरलक्ष्मी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं, इसलिए भी उनका नाम वर और लक्ष्मी मिलाकर वरलक्ष्मी पड़ा। मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर से गरीबी, दरिद्रता को दूर करके धन और वैभवता देती हैं। वरलक्ष्मी व्रत पूजा का सबसे खास मुहूर्त शुक्रवार को सिंह लग्न में प्रातः 05:53 मिनट से 07:59 सुबह तक रहा। इस दिन माता वरलक्ष्मी को 9 प्रकार फलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही माता के 108 नाम की पूजा करके, सायंकाल पूजन आरती के बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सुहाग सामग्री और फल दान करती हैं।