1. सत युग- सत युग जिसे कृत युग भी कहा जाता है। सत युग में कुल 17,28,000 वर्ष होते हैं। शास्त्रानुसार सत युग का प्रारंभ अत्यंत पवित्र कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से होता है। जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। सत युग में धर्म अपने 4 चरणों से विद्यमान रहता है।
2. त्रेता युग- त्रेतायुग में कुल 12,96,000 वर्ष होते हैं। शास्त्रानुसार त्रेता युग का प्रारंभ वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से होता है। जिसे अक्षय तृतीया या आखा तीज भी कहा जाता है। त्रेता युग में धर्म अपने 3 चरणों से विद्यमान रहता है।
3. द्वापर युग- द्वापर युग में कुल 8,64,000 वर्ष होते हैं। शास्त्रानुसार द्वापर युग का प्रारंभ माघ मास की पूर्णिमा तिथि से होता है। द्वापर युग में धर्म अपने 2 चरणों से विद्यमान रहता है।
4. कलि युग- कल युग में कुल 4,32,000 वर्ष होते हैं। शास्त्रानुसार कलि युग का प्रारंभ आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से होता है। कलि युग में धर्म अपने 1 चरण से विद्यमान रहता है।