जानिए किसे धारण करना चाहिए सूर्य रत्न...

भविष्यवक्ता के अनुसार तेजस्विता प्रदान करने वाला तेजोमय ग्रह सूर्य का रत्न माणिक सभी को शुभ फल नहीं देता है। जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति जाने बिना माणिक धारण करना अनुचित भी हो सकता है।


 

यह रत्न तेज एवं समृद्धि का कारक है। मान-सम्मान एवं लोकप्रियता भी सूर्य की शुभ स्थिति से ही प्राप्त होती है, पेट संबंधी रोगों को भी माणिक नष्ट करता है। इससे शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है तथा राजनेताओं को माणिक जनता के बीच लोकप्रियता देता है।
 
चूंकि सूर्य एक ऊर्जावान ग्रह है अतः धारक को सूर्य ऊर्जा मुफ्त में ही प्राप्त होती रहती है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी होता है अतः माणिक धारण करने से व्यक्ति आत्मनिर्भर भी बनता है। वर्चस्व की क्षमता भी बढ़ती है, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियां भी बढ़ती हैं, अस्थिरता नष्ट होकर स्थिरता प्राप्त होती है, आत्मोन्नति एवं संतान सुख भी बढ़ता है।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि माणिक लग्न, दशा तथा ग्रह-गोचर का अध्ययन करके ही धारण करें। इस रत्न के साथ कभी भी हीरा, गोमेद एवं नीलम नहीं पहनना चाहिए। अच्छा माणिक आभायुक्त चमकदार होता है, हाथ में पकड़ने पर भारी लगेगा और हल्की-हल्की गर्मी महसूस होगी। माणिक रक्तवर्धक, वायुनाशक और पेट रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। यह मानसिक रोग एवं नेत्र रोग में भी फायदा करता है। माणिक धारण करने से नपुंसकता नष्ट होती है।
आगे पढ़ें कौन-कौन धारण कर सकता हैं माणिक रत्न 
 


 


 


मेष- मेष राशि वाले जातकों को सूर्य पंचम का स्वामी होने से माणिक धारण करना संतान सुख, ईष्ट कृपा तथा शिक्षा में उन्नति होती है। मेष का स्वामी मंगल और सूर्य में मित्रता होने के कारण माणिक धारण करने से शासकीय एवं पराक्रम से संबंधी कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है। 
 

 


 


वृषभ- वृषभ राशि वालों का चतुर्थेश सूर्य होने के कारण माणिक होने के कारण तथा चतुर्थ हृदय भाव होने से यदि आपको हृदय संबंधी रोग हो तो माणिक पहन सकते हैं। सूर्य की महादशा में भी माणिक पहन सकते हैं। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र तथा सूर्य की आपस में शत्रुता होने से वृषभ राशि वाले जातकों को माणिक धारण नहीं करना चाहिए।
 
 


 


मिथुन- मिथुन जातकों को माणिक सूर्य रोगों को नष्ट करने के लिए ही धारण करना चाहिए अन्यथा नहीं। मिथुन राशि का स्वामी बुध और सूर्य आपस में मित्र होने से माणिक धारण किया जा सकता है। माणिक पराक्रमेश होने से न खराब, न ही अच्छा होता है अतः कुंडली का विशेष विश्लेषण करने के बाद ही माणिक धारण करना चाहिए।
 

 


 


कर्क- कर्क जातक धन एवं विद्या की प्राप्ति के लिए माणिक धारण कर सकते हैं। सूर्य चन्द्र मित्र होने से भी माणिक धारण किया जा सकता है लेकिन द्वितीय मारक होने से माणिक धारण करना उचित नहीं है। नेत्र या हृदयरोग हो तो धारण कर सकते हैं। कई ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्य चन्द्र को मारकत्व दोष नहीं लगता है अतः माणिक धारण कर सकते हैं।
 
 

 


सिंह- सिंह राशि वाले जातक माणिक धारण कर सकते हैं। यह जीवनरत्न है, जो मान-सम्मान और स्वास्थ्य के लिए उत्तम है, क्योंकि यह सिंह का स्वामी ग्रह का रत्न है अतः शुभ फलदायक है। लग्नेश का रत्न होने से व्यक्तित्व को निखारता है। 
 

 


 


कन्या- कन्या जातकों को माणिक धारण करना अशुभ रहेगा, क्योंकि सूर्य बारहवें भाव का स्वामी होता है और बारहवां भाव त्रिकभाव है। यदि हृदयरोग के लिए रत्न धारण करना है, तो ज्योतिषी की सलाह लेकर ही धारण करें।

 
 
 


 


तुला- तुला जातकों का सूर्य एकादश भाव का स्वामी होता है और एकादश भाव लाभ है लेकिन तुला राशि के स्वामी शुक्र और सूर्य में शत्रुता होने से माणिक धारण करना कष्टदायी हो सकता है अतः हड्डी रोग हो तो योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर माणिक धारण कर सकते हैं। ध्यान रहे सूर्य की मित्र दशा होना आवश्यक है। यदि जन्मकुंडली नहीं हो तो योग्य हस्तरेखा विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही माणिक पहनें।
 
 


 


वृश्चिक- वृश्चिक जातकों को माणिक धारण करना शुभ है। वृश्चिक का स्वामी मंगल, सूर्य का मित्र होने से कल्याणकारी हो गया है। दशम भावेश होने के कारण माणिक धारण करना राज्य सुख प्रदायक तथा खेलकूद, सर्विस, चिकित्सीय व्यापार से लाभ करता है अतः वृश्चिक जातक सूर्य, मंगल, गुरु, बुध एवं चन्द्र की महादशा में माणिक धारण कर सकते हैं।
 
 


 


धनु- धनु राशि में सूर्य भाग्यवान का स्वामी होता है तथा राशिश गुरु का भी मित्र है अतः धनु राशि वालों को आजीवन माणिक धारण करना चाहिए जिससे भाग्योन्नति के शुद्धावसर प्राप्त होते हैं। आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है तथा अचानक भाग्य से धन प्राप्त होता है। पराक्रम की प्राप्ति होती है नेत्र एवं हृदयरोग में लाभ होता है।
 
 


 


मकर- मकर राशि से अष्टम होने के कारण माणिक कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, मकर राशि का स्वामी शनि तथा सूर्य में शत्रुता अनुचित होगी। 
 
 


 


कुंभ- कुंभ से सप्तम सूर्य की राशि होने से धारण करना कष्टप्रद रहेगा राशिश शनि तथा सूर्य में भी शत्रुता होती है फलस्वरूप माणिक भूलकर भी धारण न करें, क्योंकि सप्तम मारक स्थान है।
 
 


 


मीन- मीन राशि गुरु की राशि है तथा सूर्य और गुरु में मित्रता है, लेकिन सूर्य षष्ठेश होकर अशुभ हो गया है फलस्वरूप माणिक धारण करना शुभ नहीं है।


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