रोहिणी नक्षत्र में जन्मे हैं तो ऐसा होगा व्यक्तित्व और भविष्यफल

अनिरुद्ध जोशी
rohini nakshatra
1.आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। प्राचीन आचार्यों ने हमारे आकाश मंडल को 28 नक्षत्र मंडलों में बांटा है। नक्षत्रों की जानकारी की इस सीरीज में इस बार जानिए चौथा नक्षत्र रोहिणी।
 
 
2.आकाश मंडल के चौथे नक्षत्र रोहिणी का अर्थ 'लाल' होता है। अंग्रेजी में इसे एल्डेबारन कहते हैं। यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है। यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है। 
 
 
3.रोहिणी नक्षत्र का राशि स्वामी शुक्र है और नक्षत्र स्वामी चन्द्रमा है। वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के 4 चरण होते हैं। इसका रंग सफेद, वृक्ष जामुन, देवता प्रजापति ब्रह्मा, वर्ण वैश्य, वश्य चतुष्पद, योनि सर्प, महावैर योनि नेवला, गण मानव तथा नाड़ी अंत्य है। इस नक्षत्र का योग- सौभाग्य, जाति- स्त्री, स्वभाव से शुभ है और उसकी विंशोतरी दशा का स्वामी ग्रह चंद्र है।
 
 
4. इस नक्षत्र में जन्मे जातक देखने में सुंदर तथा आकर्षक आंखों वाले होते हैं। स्त्री और वाहन सुख मिलता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने से जातक सत्यवक्ता, पवित्रात्मा, प्रिय वचन बोलने वाला, स्थिर बुद्धि, धनवान, कृतज्ञ, मेधावी, राजमान्य, संवेदनशील, सौम्य स्वभाव, ज्ञानयुक्त, शीलयुक्त, धर्म-कर्म में कुशल, सम्मोहक तथा सदा ही प्रगतिशील होता है। इसके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का प्रेमी, कला, नाट्य तथा संगीत में अभिरुचि, सार्वजनिक उत्सवों में भाग लेने वाला, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सम्मान का इच्छुक, परोपकारी होता है। 36 के बाद सबसे अच्छा समय।
 
 
5. यदि शुक्र और चन्द्र खराब स्थिति में हैं तो ऐसा जातक दुर्बल शरीर, दूसरों की कमियों को उजागर करने वाला, भूत-प्रेत में विश्‍वास रखकर उन्हें साधने वाला होता है। इससे उसके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है जिसके चलते दुर्भाग्य निर्मित होता है।
 

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