प्राचीन समय से कालगणना की नगरी रही उज्जैन के ज्योतिषियों का मानना है कि सौरमंडल के प्रमुख ग्रह 'शनि' का 9 सितंबर से कन्या राशि में प्रवेश होने जा रहा है इसके कारण निर्मित होने वाली ग्रहदशा की वजह से आने वाला समय राजनेताओं तथा राजनीतिक दलों के साथ देश के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
महाकाल ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के संचालक कृपाशंकर व्यास ने बताया कि बुधवार नौ सितंबर को रात्रि 11 बजकर 58 मिनट पर शनि ग्रह उत्तरा फाल्गुन नक्षत्र के द्वितीय चरण में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तक शनि सिंह राशि में सूर्य के साथ युति किए हुए था। इसी कारण देश में मानसून कमजोर होने के बावजूद सभी ओर अच्छी बारिश हुई।
व्यास ने कहा कि नौ से 16 सितंबर तक शनि अकेला ही कन्या राशि में रहेगा और 17 सितंबर से सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश होगा इसके कारण शनि एवं सूर्य की युति हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शनि का कन्या में प्रवेश अपनी अस्तावस्था में हो रहा है तथा यह देश के लिए शुभदायक संकेत नही है। इसके प्रभाव से शासक समूह के साथ राजनीतिज्ञों के मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आएँगे।
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स्वार्थपरक राजनीति के चलते राजनीतिज्ञों के मध्य काफी कटुता फैलेगी। तथा अगले माह 17 अक्टूबर को दीपावली शनिवार की है जबकि कार्तिक अमावस्या रविवार को पड़ रही है। यह भी शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि कन्या राशि में शनि के साथ सूर्य, चन्द्र, बुध और शुक्र ग्रह के साथ पाँच ग्रहों की युति होने से भी यह समय देश के लिए चुनौतीपूर्ण है। इसके प्रभाव से महँगाई बढ़ेगी और उग्रवाद तथा आंतकवाद से जुडी घटनाएँ भी सामने आ सकती हैं।
व्यास ने कहा कि ऐसा माना गया है कि शनि जब अगली राशि में परिवर्तन करता है तो उसके एक माह पूर्व ही अपना प्रभाव दिखाने लगता है। इस समय शनि की दृष्टि दक्षिण दिशा की ओर है। शनि को न्यायवादी ग्रह कहा जाता है। उसकी कुदृष्टि उन्हीं लोगों को परेशान करती है जिनकी कथनी और करनी में अंतर होता है। जिस पर शनि की दशा होती है यदि वह अपना आचरण शुद्ध रखता है तो उसका अनिष्ट तो टलता ही है दशा के समापन पर शुभ फल भी प्राप्त होता है। (वार्ता)