जप करते समय एक पात्र में शुद्ध जल, काला तिल, दूध, चीनी और गंगाजल अपने पास रख लें। जप के बाद इसको पीपल वृक्ष की जड़ में पश्चिम मुख होकर चढ़ा दें। भोजन में उड़द (कलाई) के आटे से बनी चीजें, पंजीरी, पकौड़ी, चीला और बड़ा इत्यादि खाएं। कुछ तेल में बनी चीजें अवश्य खाएं। फल में केला खाएं। इस व्रत के करने से सब प्रकार की सांसारिक झंझटें दूर होती हैं। झगड़े में विजय प्राप्त होती है। लोहे, मशीनरी, कारखाने वालों के लिए यह व्रत व्यापार में उन्नति और लाभदायक होता है।