लग्न अर्थात प्रथम भाव पर किन ग्रहों की दृष्टि का क्या परिणाम होता है, आइए जानें -
1. सूर्य की दृष्टि: लग्न पर सूर्य की दृष्टि स्वभाव में उग्रता, स्वार्थीपन, राज्यपक्ष से लाभ, बड़ों का आदर करना, दांपत्य में कलह ये फल देती है।
2. चंद्र की दृष्टि : सुंदर चेहरा, संपन्न, मधुर स्वभाव, धन की प्रचुरता वाला बनाती है।
3. मंगल की दृष्टि : सप्तमस्थ मंगल की दृष्टिवाणी में कटुता, नेत्र रोग, दंत रोग देती है, छठे मंगल की दृष्टि जीवनसाथी को कष्ट, दसवें मंगल की दृष्टि सम्मान, पद वृद्धि व लाभ देती है।
4. बुध की दृष्टि : आकर्षक व्यक्तित्व, गणित में रूचि, धनी, दीर्घायु, लेखक व व्यापार कुशल बनाती है।
5. गुरु की दृष्टि : चिरायु, सदाचारी, धार्मिक, विद्वान, बलवान व भाग्यवान बनाती है।
6. शुक्र की दृष्टि : शौकीन मिजाज, धनवान, बुद्धिमान, अच्छी सुंदर स्त्री वाला, चंचल स्वभाव का बनाती है।
7. शनि की दृष्टि : दूषित शनि जीवन भर आर्थिक व मानसिक कष्ट देता है। विवाह सुख भी नहीं मिलता। वात रोग होते हैं। उच्च का शनि जातक को संपन्न व यशस्वी बनाता है। दशम दृष्टि के शुभ फल मिलते हैं।
8. राहु की दृष्टि : बड़बोला, दिखावा करने वाला, कटु भाषण करने वाला, शौकीन, उदारवृत्ति का बनाती है। ये जातक झूठ बोलते हैं।
9. केतु की दृष्टि : केतु की दृष्टि उदासीनता व जीवन के प्रति निराशा देती है। रहन-सहन भी बेपरवाह होता है, शिक्षा में अडंगे आते हैं।
विशेष : यदि लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि फल अधिक हो तो अशुभ ग्रहों की दृष्टि की अशुभता कम होने लगती है। उसी तरह अशुभ ग्रह अच्छे कारक स्थानों के स्वामी होकर प्रबल हैं व लग्न पर दृष्टि डाल रहे हैं तो शुभ प्रभाव ही देंगे। जैसे तुला लग्न में शनि यदि चौथे या ग्यारहवें स्थान से लग्न को देख रहा है तो शुभ फल ही मिलेंगे।