मोर पंख से नवग्रहों का क्या है कनेक्शन, संध्या दैत्य की कहानी में छुपा है राज

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हिन्दू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में मोर पंख (mor pankh) का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यतानुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और नौ ग्रहों का वास होता है। ज्योतिष के अनुसार यदि मोर पंख को विधिपूर्वक घर में स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं। यदि घर का द्वार वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करने से यह वास्तु दोष दूर होता है।
 
मोर पंख से नवग्रहों का क्या है कनेक्शन, मंत्र और उपाय- mor pankh n Navagrah remedies 
 
1. सूर्य के लिए : रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
 
2. चंद्र के लिए : सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
3. मंगल के लिए : मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…
 
- ॐ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
4. बुध के लिए : बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- जामुन बुध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।
 
5. गुरु के लिए : गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ बृहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें। बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।
 
6. शुक्र के लिए : शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें। गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
 
7. शनि के लिए : शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें- 
 
- ॐ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं। इससे शनि संबंधी दोष दूर होता है। 
 
8. राहु के लिए : शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…
 
- ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें। कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।
 
9. केतु के लिए : शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
 
- ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें। फलों का प्रसाद चढ़ाएं।
 
संध्या दैत्य की कथा-Sandhya asur story
 
इससे संबंधित कथा के अनुसार भगवान शिव जी ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया था। 
 
प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी दैत्य था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था।
 
संध्या असुर ने कठोर तप कर शिव जी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्मा जी और शिव जी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। शक्तियों के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। 
 
शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।
 
योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।

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