इन शुभ मंत्रों से मनाएं अपने रूठे नवग्रहों को

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- मुकेश घनघोरिया 
 
ग्रह जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं वह जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते हैं। 
 
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करें और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपें तो जातक सुखी बन सकता है। साथ में जातक संबंधित ग्रह के क्षेत्र का दान और उस ग्रह के रत्न की माला से जप करें तो जातक प्रसन्न व संपन्न होगा। 

क्रमांक ग्रह रत्न धातु अन्न वस्त्र माला मंत्र समय जप संख्या
1 सूर्य माणिक्य ताम्र गेहूं लाल रक्तमणि ॐ ह्राँ हीं सः सूर्याय नमः सूर्योदय 7000
2 चंद्र मोती चांदी चावल श्वेत मोती ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः संध्या 11000
3 मंगल मूंगा ताम्र मसूर लाल मूंगा ॐ क्राँ क्रीं क्रों सः भौमाय नमः 2 घटी 10000
4 बुध पन्ना कांसा मूंग हरा हरिल ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः 5 घटी 9000
5 गुरु पुखराज सोना चनादाल पीला पीली हल्दी ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः संध्या 19000
6 शुक्र हीरा चांदी चावल श्वेत स्फटिक ॐ द्राँ द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः सूर्योदय 16000
7 शनि नीलम लोहा उड़द दाल काला नीलमणि ॐ प्राँ प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः संध्या 23000
8 राहु गोमेद सीसा तिल नीला कृष्णा ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः रात्रि 18000
9 केतु लहसुनिया लोहा तिल ध्रूमवर्ण नौरंगी ॐ स्राँ स्रीं स्रों सः केतवे नमः रात्रि