Shani rahu ki yuti: 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 14 मई 2025 से गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी हो रहे हैं और 18 मई 2025 को मायावी ग्रह राहु बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। राहु हमेशा उल्टी चाल ही चलता है और जब वह कुंभ में प्रवेश करेगा तो उसका बल और बढ़ जाएगा क्योंकि यह उसके मित्र शनि की यह राशि है। दोनों की मीन राशि में जुगलबंदी होगी। गुरु के अतिचारी, शनि के मीन में गोचर और राहु क कुंभ में गोचर के दौरान देश और दुनिया का संपूर्ण परिदृश्य बदल जाएगा।
29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
14 मई 2025 से गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी होंगे।
18 मई 2025 को राहु ग्रह बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा।
शनि का मीन में गोचर : 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 29 मार्च 2025 को जब शनि ग्रह कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेगा तब दुनिया में विश्व युद्ध की शुरुआत की भूमिका का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। रशिया यूक्रेन, इजरायल हमास के बाद बदलती दुनिया में अब नए मोर्चों पर युद्ध का बिगुल बज सकता है।
2017 अक्टूबर में जब शनि ने धनु राशि में प्रवेश किया था तभी से देश दुनिया में राजनीतिक और प्राकृतिक रूप में ऐसी घटनाएं घटने लगी जिसे आपने कभी अपने जीवन में नहीं देखा होगा। शनि ने जब 24 जनवरी 2020 में मकर राशि में प्रवेश किया था, तब दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप फैल गया था। फिर शनि ने जब 29 अप्रैल 2022 को कुंभ में प्रवेश किया तब रूस महामारी का दौर खत्म हुआ और दुनियाभर में युद्ध, अराजकता, महंगाई, प्रदर्शन और सत्ता परिवर्तन का नया दौर प्रारंभ हुआ। इसके कुंभ गोचर के काल में ही भूकंप और बड़े तूफान के साथ ही अब यूक्रेन और रशिया के बाद इजरायल और हमास का युद्ध भी शुरू हो चला है।
3 गुना अतिचारी बृहस्पति का मिथुन में गोचर : 14 मई 2025 से गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी हो रहे हैं। अतिचारी यानी वे अब तेज गति से एक राशि को बहुत कम समय में पार करके पुन: उसी राशि में वक्री लौटेंगे और फिर मार्गी होकर पुन: अगली राशि में चले जाएंगे। ऐसे वे 8 वर्षों तक करेंगे। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी, क्योंकि बृहस्पति की मीन राशि में शनि और राहु की युति मई 18 मई 2025 तक रहेगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं।
महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है।
फलादेश : उपरोक्त तीनों ग्रहों की गति के कारण वर्तमान में चल रहे युद्ध आगे चलकर महायुद्ध में बदल जाने की संभावना है। गुरु के अतिचारी होने से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में और शासन व्यवस्था में भी भारी बदलाव देखने को मिलेंगे। कोरोना वायरस की तरह किसी नई महामारी के आने की संभावना है। टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो जाएगी जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। लोग अंतरिक्ष में जाने की योजना बनाएंगे। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा।
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