कर्क राशि पर शनि की साढ़ेसाती शनि के मिथुन राशि पर आने से प्रथम ढैया शुरू होता है। शनि मिथुन राशि में मित्र क्षेत्री होने से मेहनत खूब कराएगा वहीं भाइयों का सहयोग भी दिलवाएगा। शत्रुओं का नाश भी होगा। शनि की तृतीय पंचम भाव पर शत्रु दृष्टि पड़ने से यदि आप विद्यार्थी वर्ग से हैं तो आपको पढ़ाई में ध्यान देकर चलना होगा।
किसी स्त्री को बच्चा होने वाला हो तो उसे ऐसे समय में काफी सतर्कता से रहने की जरूरत है। शनि की भाग्य पर सम दृष्टि पड़ने से भाग्य में धीरे-धीर वृद्धि होगी वहीं धर्म-कर्म में कुछ कम मन लगेगा। यश में मिली-जुली स्थिति रहेगी। द्वादश भाव पर शनि कि सम दृष्टि होने से बाहरी संबंध ठीक रहेंगे, यात्रा भी हो सकती है। शनि की दूसरी ढैय्या कर्क पर होने से रोजी-रोटी की समस्या आ सकती है। पारिवारिक तनाव रह सकता है, मकान बनना है तो देर लगती है। माता को कष्ट रह सकता है।
शनि की तृतीय दृष्टि मित्र षष्ट भाव पर कन्या राशि पर पड़ने से शत्रु नष्ट होते हैं, चौपायों से लाभ मिलता है। शनि की सप्तम दृष्टि दशम भाव पर स्वदृष्टि पड़ने से पिता का सहयोग मिलता है व व्यापार में भी सुधार रहता है।
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शनि की दशम दृष्टि लग्न पर नीच दृष्टि पड़ने से मानसिक चिन्ता रहती है, स्वास्थ्य गड़गड़ रहता है। शनि का तृतीय ढैय्या पंचम भाव पर शत्रु दृष्टि पड़ने से सन्तान को कष्ट, विद्यार्थी वर्ग को परेशानी रहती है। प्रेम संबंध हो तो बदनामी के योग बनते हैं। लेखन संबंधित कार्य करने वाले व्यक्तियों को सावधानी रखना चाहिए।
शनि की आय भाव पर स्वदृष्टि पड़ने से आय के साधनों में कमी न होने से कष्ट कम महसूस होता है। शनि की दशम दृष्टि मित्र द्वितीय भाव पर पड़ने से धन कुटुम्ब का सहयोग मिलता है। अपनी वाणी के प्रभाव से लाभ रहता है।
यदि शनि का अशुभ प्रभाव पड़ता हो तो अपने ऊपर से सुरमे की शीशी (सुरमा भरी बोतल) शनिवार को नौ बार उतारकर जमीन में गाड़ दें। दूसरा उपाय प्रति शनिवार को सरसों के तेल में अपना मुँह देखकर तेल दान कर दें। शनि दर्शन से बचें।