समस्त कष्टों के निवारण के लिए हनुमानजी को यंत्र साधना के द्वारा भी प्रसन्न किया जा सकता है। क्योंकि इनमें स्वयं हनुमानजी विराजमान रहते हैं। इसके लिए प्रातः नित्यकर्मों से निवृत होकर एवं स्नान करने के बाद लाल वस्त्र पहनें।
तत्पश्चात कुश या ऊन के आसन पर बैठकर हनुमानजी की मूर्ति पर या यंत्र को सामने रखें और सिंदूर, चावल, लाल पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें। इसके अलावा बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
फिर पुष्प हाथ में लेकर निम्न श्लोक पढ़ें-
अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं,
दनुज-वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकल गुणानिधानं वानराणामधीशं,
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
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इसके पश्चात हनुमानजी को पुष्प अर्पित कर दें। अब हनुमानजी का ध्यान करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें।
अंत में लाल चंदन की माला से 108 बार 'हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्' मंत्र का नित्य जाप करें।