दीपों के इस पर्व पर हम सभी अपने घर-प्रतिष्ठान पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीप प्रज्वलित कर अंधेरे को मिटाते हैं, परंतु बहुतेरों को यह जानकारी ही नहीं होती कि किन स्थानों पर दीपक प्रज्वलित करने से क्या लाभ होते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि किस स्थान पर किस प्रकार दीपक लगाए जाने चाहिए-
दीपावली की संध्या पर लक्ष्मीपूजन से पहले मुख्य द्वार पर सरसों के तेल के दीपक जलाएं। अगर घर में आंगन है तो घी का एक दीपक आंगन में जलाएं और अगर आंगन नहीं है तो ड्राइंग रूम या घर के बीचोबीच घी का दीपक जलाएं।
नजदीक के मंदिर में जाकर दीपदान करें। आप 5 या 7 घी के दीपक ले जाएं और अपने ईष्टदेव के अलावा शिव मंदिर व अन्य मूर्तियों के सामने भी दीपक जलाएं और समृद्धि की कामना करें। दीपावली की शाम को घर के नजदीक मुख्य चौराहे पर भी दीपक जलाने से दिग्पाल प्रसन्न होते हैं।
लक्ष्मीपूजन के बाद पीपल के पेड़ के नीचे भी दीपक जलाकर आएं। अपने घर और घर के आसपास कहीं भी अंधेरा दिखे तो संकोच न करें और वहां दीपक जलाकर आएं। रात को शयन कक्ष में घी का दीपक जलाएं लेकिन साथ ही उसमें कपूर भी रख दें। कहते हैं कि इससे दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
गृह स्वामिनी दीपावली की रात खाना बनाने से पहले दो दीपक रसोईघर में जरूर जलाएं। इससे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर भंडार में वृद्धि होती है। अगर आपके पास वाहन है तो वाहन के समीप एक दीपक जरूर जलाएं। तिजोरी के नजदीक भगवान कुबेर की प्रार्थना करते हुए तिल के तेल का दीपक जलाएं। इससे सालभर तिजोरी भरी रहने के योग बनते हैं।
मां लक्ष्मी जल के रूप में भी घर-घर में मौजूद रहती हैं। घर के पास नदी, कुआं, तालाब या किसी भी प्रकार का जलस्रोत हो तो वहां दीपक जलाएं। अगर ऐसा संभव न हो तो घर में नल अथवा जल के किसी भी स्रोत के नजदीक एक दीपक जरूर जलाएं।
दीपावली की रात घर के चारों कोनों में चार मुख वाले दीपक जरूर जलाएं और भगवान गणेशजी से अपने चारों तरफ सुख-समृद्धि की कामना जरूर करें। दीपावली की रात पूजन के पश्चात तुलसी के पौधे के नीचे भी एक दीपक जलाएं, इससे श्रीविष्णु प्रसन्न होते हैं।