रामभक्त हनुमान जैसा कोई दूसरा इस पृथ्वी पर नहीं। भक्त तो कई होंगे, लेकिन जो बात रुद्र अवतार हनुमानजी में है वह और किसी में नहीं।
अंजनि पुत्र हनुमानजी का जन्म मंगलवार को हुआ इसीलिए कहते हैं कि मंगल को जन्मे हनुमान सदैव मंगल ही करने वाले हैं। कहते हैं, देवताओं के राजा इन्द्र ने भक्त हनुमान पर वज्र से प्रहार किया था जिसके चलते हनुमानजी की ठुड्डी (हनु) टूट गई थी जिसके कारण उन्हें 'हनुमान' कहा जाता है।
क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी हमेशा सिन्दूरिया रंग में ही क्यों दिखाई देते हैं? एक बार बचपन में हनुमानजी ने अपनी मां को मांग में सिन्दूर लगाते हुए देखकर कारण पूछा। उनकी मां ने कहा कि वे अपने प्रभु यानी अपने पति को खुश करने और उनकी लंबी आयु के लिए अपनी मांग में सिन्दूर लगाती हैं।
इसलिए हनुमानजी ने सोचा कि जब चुटकीभर सिन्दूर से ही मां के भगवान प्रसन्न हो सकते हैं तो मैं अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लेता हूं, तभी से हनुमानजी ने सिन्दूर लगाना शुरू कर दिया।
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हनुमानजी बुद्धि और बल के दाता हैं। उत्तरकांड में भगवान राम ने हनुमानजी को प्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति में निपुण आदि विशेषणों से संबोधित किया है। हनुमानजी को मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है इसलिए मन्नत मानने वाले अनेक स्त्री-पुरुष हनुमान की मूर्ति की श्रद्धापूर्वक निर्धारित प्रदक्षिणा करते हैं।
किसी कन्या का विवाह न हो रहा हो तो उसे ब्रह्मचारी हनुमान की उपासना करने को कहा जाता है।
चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। प्रायः शनिवार व मंगलवार हनुमानजी के दिन माने जाते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर व तेल अर्पण करने की प्रथा है। हनुमानजी को प्रसाद में गुड़-चना सबसे अधिक प्रिय है। कहीं-कहीं खांड व चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
यदि आपकी कोई समस्या हो तो पहले शुद्ध होकर एक खुशबूदार अगरबत्ती लगाएं व पीले फूल चढ़ाकर एक वजनी पत्थर रख अपनी समस्या बताकर कहें कि मेरी समस्या का समाधान होने पर पत्थर के वजन का सवाया प्रसाद चढ़ाऊंगा। जब तक आपकी समस्या हल न हो जाए, तब तक उस पत्थर को वहीं रहने दें।
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चमत्कारी हनुमान मंत्र
वैसे तो हनुमानजी को अपनी पूजा करवाना पसंद नहीं है। वे रामभक्त होने से राम को ही प्राथमिकता देते हैं, फिर भी मंत्र इस प्रकार है-
सर्व सिद्धिदायक हनुमान मंत्र
हनुमान्माला मंत्र :
श्री हनुमानजी के सम्मुख इस मंत्र का 51 बार पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रख लें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है।