लटकाने के उपरांत पीपल के नीचे दीप प्रज्जवलित कर धूप-दीप व पुष्प अर्पित करें और अपने पितरों से प्रार्थना करें कि वे आपके द्वारा लगाए गए भोग को ग्रहण करें और आपको आशीर्वाद प्रदान करें। प्रार्थना के उपरांत साष्टांग दण्डवत प्रणाम कर सीधे अपने घर लौट आएं। इस पूरी प्रक्रिया में पूर्ण गोपनीयता रखनी आवश्यक है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी की भी टोक नहीं लगनी चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रखें। प्रत्येक अमावस्या को पूर्ण श्रद्धा व शुचिता से यह उपाय करने से 'पितृ दोष के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। यह उपाय किसी भी अमावस्या को किया जा सकता है।