कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय सेवक हैं। कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।
कुबेर को ही पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र स्वामी बनाया गया है। कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।
इन तीनों में से किसी भी एक मंत्र का जप दस हजार (10000) होने पर दशांश हवन करें या एक हजार मंत्र अधिक जपें। इससे यंत्र भी सिद्ध हो जाता है।
वैसे सवा लाख जप करके दशांश हवन करके कुबेर यंत्र को सिद्ध करने से तो अनंत वैभव की प्राप्ति हो जाती है।
हवन- तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सफल होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठ कर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। प्रयोग सूर्योदय के पूर्व संपन्न करें।